रांची
झारखंड में चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद जहां एक तरफ सभी राजनितिक पार्टियां चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई थीं और आजसू पार्टी भी अपने वोटर्स को साधने में लग गई थी, वहीं दूसरी तरफ, ठीक इसी समय कुरमी समाज के बीच के एक पत्र तेजी से वायरल हो रहा था। ये पत्र कहां से आया इसकी कोई जानकारी नही है लेकिन जो चुनाव के नतीजे आए हैं उससे ये साफ पता चल रहा है कि जिस मकसद से ये पत्र लिखा गया था, वो अब पूरा हो गया है।
आपको बताते हैं कि आखिर उस पत्र में ऐसा था क्या कि इस चुनाव में आजसू केवल एक सीट पर सिमट कर रह गई। माना जा रहा है कि इस पत्र ने आजसू का इस चुनाव में खेल बिगाड़ दिया। जयराम महतो को कुरमी समाज ने अपना नया नेता चुन लिया। इस पत्र में बताया गया है कि कैसे आजसू ने दूसरे कुरमी नेताऔं को आगे बढ़ने से रोका है। उनको सियासी फलक पर उभरने नहीं दिया।
इस पत्र कुल 9 बिंदु हैं। सबसे महत्वपूर्ण है इस पत्र का हेडिंग। वो है- आखिर कुरमी समाज आजसू को वोट क्यों दे।
इस पत्र में आजसू पर सीधा आरोप है कि शहीद निर्मल महतो के छोटे भाई सुधीर महतो के मृत्यू के बाद उनकी पत्नी सबिता महतो को चुनाव में हराने के लिए आजसू पार्टी पूरी ताकत लगाती है। हरेलाल महतो जी आजसू के नेता हैं वे सबीता महतो को बाहरी बताते हैं। अगर आजसू सच में निर्मल महतो का सम्मान करती है तो सबीता महतो के खिलाफ उन्हें चुनाव लड़ना ही नहीं चाहिए था। ये हालत देख निर्मल महतो की आत्मा भी कराहती होगी कि आखिर जिस झारखंड की कल्पना उन्होंने की, वहां मेरी ही बनाई हुई पार्टी मेरे ही परीवार को झारखंड की राजनीति से बाहर करना चाहती है।
दूसरे बिंदू में इस बात का जिक्र है कि जब शहीद सुनील महतो की बेटी का आकस्मिक निधन हो गया, तो वहां आजसू के कोई नेता, चाहे वो सुदेश महतो हों या चंद्रप्रकाश चौधरी उनके घर नहीं पहुंचे। वहीं इस पत्र में हेमंत की तारीफ की गयी है। क्योंकि इस दुख की घड़ी में हेमंत सोरेन उनके परीवार से मिलने पहुंचे थे।
तीसरे बिंदु में इस बात का जिक्र किया गया कि कुरमी समुदाय के बड़े नेता स्व जगरनाथ महतो के निधन के बाद जब डुमरी में उपचुनाव हुआ तब आजसू ने पूरी ताकत से उपचुनाव में अपना प्रत्याशी को उतारा। वहीं जयराम महतो ने उपचुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
चौथे बिंदू में इस बात का जिक्र है कि झारखंड के आंदोलनकारी स्व दामोदर महतो की पत्नी यशोदा देवी का टिकट आजसू काटने को तैयार थी। आजसू पार्टी दुर्योधन महतो को टिकट देने की तैयारी में थी।
पांचवे बिंदू में 3 कुरमी विधायकों का जिक्र है। योगेन्द्र महतो, अमित महतो और ममता देवी, ये वे तीन कुरमी विधायक हैं जिन्हें जेल हुई थी। इस पत्र में ये आरोप लगाया गया है कि इन्हें जबरन फंसाने के लिए, गवाहो को प्रभावित किया गया और सजा दिलाई गई। आगे इस पत्र में लिखा है कि ये कितनी शर्मनाक है कि एक कुर्मी महिला विधायक को अपने दूध मुंहे बच्चे को छोड़ कर जेल जाना पड़ा। अमित महतो जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे थे, उन्हें झूठे केस में फंसा कर जेल भेजा गया। चंद्रप्रकाश चौधरी ने योगेन्द्र महतो पर केस लगवाया जिस कारण उनकी विधायकी चली गई।
झारखंड के पुरोधा वीर स्वर्गीय बिनोद बाबू के बेटे स्व राजकिशोर महतो ने इनकी मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सुदेश महतो ने मुझे धोखा दिया है। एक साजिश के तहत 2019 के चुनाव में मुझे आख़िरी समय तक टिकट के लिए दौड़ाया गया, इस कारण मैं चुनाव हार गया। जबकि इसी चुनाव में सिल्ली में बीजेपी के उम्मीदवार को लड़ने से रोक दिया गया था।
इस पत्र में सुदेश महतो पर भी सीधे निशाना साधा गया है। इस पत्र में सुदेश के भाई के डीएसपी बनाए जाने का जिक्र है। इस पत्र के 7वें और बिंदु में लिखा है, जब JPSC में पैरवी से इन्होंने डीएसपी बनाया तो अपने भाई को भी बनाया। कुरमी समाज के किसी ग़रीब के बेटा या बेटी को नहीं। जबकि उस वक्त सुदेश महतो सत्ता के केंद्र में थे। अगर चाहते तो समाज के कुछ ग़रीब बच्चों को भी डीएसपी बना सकते थे। इनके संरक्षण में किसी कुरमी का विकास नहीं हुआ है।
पत्र में, आजसू पर ये आरोप लगा कि अब आजसू पूंजीपतियों की पार्टी बन के रह गई है। ये लोग गैर झारखंडी के समर्थक हैं। ये लोग या तो बिहारी हैं या फिर मारवाड़ी।
अंतिम बिंदु में इस बात का जिक्र है कि जब कुरमी समाज का एक युवा जयराम महतो राजनीति में आगे आ रहा है, तो सुदेश महतो और चंद्रप्रकाश चौधरी उन्हें कुचलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जन समर्थन की लड़ाई हारने के बाद इनके लोग सोशल मीडिया पर गैर संसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर इस उभरते लड़के को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीति में प्रतिद्वंद्विता होती है मगर साज़िश नहीं। आजसू के सोशल मीडिया वर्कर उस कुर्मी युवा को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, जो झारखंड की लड़ाई शिद्दत से लड़ रहा है और संघर्ष कर रहा है।
बहरहाल, अब तो चुनाव का परिणाम भी आ गाया है, ये भी साफ हो गया है कि कहीं ना कहीं इस पत्र ने कुरमी समाज के बीच आजसू की छवि खराब की, जिस कारण आजसू अपने हिस्से की 10 सीटों में से केवल मांडू ही बचा पाई। अब देखना ये होगा कि आजसू आगे क्या रणनीति अपनाती है, जिससे पार्टी की छवि को सुधारा जा सके।