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माफी और दुआओं की रात शब-ए-बारात आज, राज्य सरकार ने कल घोषित की छुट्टी

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द फॉलोअप डेस्क 
शब-ए-बारात इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से शाबान महीने की 15वीं रात को मनाया जाता है और इसे "इबादत की रात" या "दुआओं की रात" के नाम से भी जाना जाता है। यह रात विशेष रूप से पापों से मुक्ति, अल्लाह की कृपा प्राप्त करने और भविष्य के लिए दुआ करने का समय मानी जाती है। शब-ए-बारात को लेकर मान्यता है कि इस रात में अल्लाह अपनी मर्जी से अगले वर्ष की नियति का निर्धारण करता है, जिसमें जीवन, मृत्यु और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का फैसला किया जाता है। झारखंड सरकार ने शुक्रवार को शब-ए-बारात की छुट्टी घोषित की है। यह छुट्टी चांद के दृष्टिगोचर होने के आधार पर दी गई है। हालांकि, पोस्टऑफिस, बैंक, बीमा और केंद्र सरकार के कार्यालय खुले रहेंगे। 

शब-ए-बारात का महत्व:
माफी और दुआओं की रात: शब-ए-बारात को विशेष रूप से अपने पापों की माफी के लिए प्रार्थना करने का अवसर माना जाता है। मुसलमान इस रात में अपने गलत कार्यों के लिए अल्लाह से क्षमा मांगते हैं और भविष्य में अच्छाई की कामना करते हैं। इस रात को इबादत करना बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि अल्लाह इस रात में अपने बंदों के गुनाह माफ कर देता है और उन्हें बरकत से नवाजता है।
जिंदगी की नियति का निर्धारण: शब-ए-बारात को यह मान्यता भी है कि इस रात में अगले साल के लिए जीवन-मृत्यु के फैसले होते हैं। इस दौरान, अल्लाह के आदेश से यह तय होता है कि कौन जीवित रहेगा और कौन नहीं, कौन समृद्ध होगा और कौन दुर्बल होगा। इस कारण से, इस रात को लेकर लोगों में गहरी आस्था और श्रद्धा होती है।
सभी मुसलमानों के लिए एकता का प्रतीक: शब-ए-बारात एक अवसर होता है, जब सभी मुसलमान मिलकर दुआ करते हैं और एकता का संदेश फैलाते हैं। यह रात शांति, भाईचारे और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देने का एक अहम समय मानी जाती है।

शब-ए-बारात मनाने का तरीका:
नमाज और दुआ: इस दिन मुसलमान खास तौर पर रात में मस्जिदों में जाकर नमाज अदा करते हैं और दुआएं करते हैं। वे अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं और अपने परिवार, समाज, और पूरी मानवता के लिए आशीर्वाद की कामना करते हैं।
रातभर इबादत: शब-ए-बारात की रात को रातभर इबादत करने का रिवाज है। कुछ मुसलमान इस रात को कुरान की तिलावत करते हैं और विशेष रूप से 'दुआ ए क़बूल' पढ़ते हैं।
खुदाई मदद की दुआ: इस रात में मुसलमान खुदा से अपनी इच्छाओं और दुआओं की ताबीर मांगते हैं। इसके अलावा, उन्हें इस रात में किए गए दान को बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है।
मिठाइयाँ और दान: इस दिन विशेष रूप से हलवा और अन्य पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं। इन मिठाइयों को गरीबों और जरूरतमंदों के बीच बांटा जाता है ताकि समाज में प्रेम और सद्भावना बनी रहे।

2025 में शब-ए-बारात:
2025 में शब-ए-बारात 13 फरवरी की शाम से 14 फरवरी की सुबह तक मनाई जाएगी। इस दिन लोग घरों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थानों पर इकट्ठा होकर एक-दूसरे के साथ दुआ करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

यह रात हर मुस्लिम के लिए आत्मा की शुद्धि, प्रायश्चित और अल्लाह की कृपा प्राप्त करने का एक अनमोल अवसर होती है, जो उन्हें एक नए और बेहतर जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

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