हमारी बात सुनी नहीं जाती, कही नहीं जाती। हमारी खबरें नहीं छपती। छपती भी हैं, तो उसे वाजिब जगह नहीं मिलती। हम लोगों की आम शिकायत है। ऐसा न सुनने को मिले बस इसी मक़सद और नेक इरादे के साथ इक अदना सी शुरुआत है। जो कहा न गया, उसे कहेंगे। जो सुना न गया, उसे सुनाएंगे। हमारी यह भी चाहत है कि साहित्य-अदब और कला के हर रंग का भी यह कैनवास बने। हाशिए की आवाज़ हम बनें। आपका The Followup झारखण्ड के प्रतिबद्ध युवा पत्रकारों का सामूहिक प्रयास है।