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कल ईसाई मनायेंगे Palm Sunday, पर्व से जुड़ीं 5 अनोखी बातें जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं 

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Nancy Oraon 
पाम संडे (Palm Sunday) जिसे "खजूर रविवार" के नाम से भी जाना जाता है, ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व ईस्टर संडे से ठीक एक सप्ताह पहले मनाया जाता है और पवित्र सप्ताह (Holy Week) की शुरुआत करता है। इस दिन का संबंध यीशु मसीह के यरुशलम में विजयी प्रवेश से है, जब लोगों ने उनका स्वागत खजूर की पत्तियों और जयकारों के साथ किया था। कहा जाता है कि जब यीशु मसीह गधे पर सवार होकर यरुशलम नगर में प्रवेश कर रहे थे, तो लोग उन्हें मसीहा मानकर उनके स्वागत में सड़कों पर खजूर की डालियां और अपने वस्त्र बिछा रहे थे। 
इसी घटना को आज के समय में ईसाई धर्म के लोग पाम संडे के रूप में मनाते हैं। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं होती हैं। खजूर पत्तियों को आशीर्वाद देकर लोगों में वितरित किया जाता है। यीशु के यरुशलम प्रवेश का स्मरण करते हुए जुलूस निकाला जाता है। हालांकि इसके बार में कई सामान्य जानकारियां सभी को होती है, लेकिन यहां हम पाम संडे से जुड़ी 5 अनोखी और कम जानी-पहचानी बातों के बार में जानेंगे, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं- 

1- पाम संडे की पत्तियां जलाकर बनती हैं "ऐश वेडनसडे" की राख
बहुत कम लोगों को पता है कि पाम संडे के दिन इस्तेमाल की गयी खजूर की पत्तियों को एक साल तक सहेज कर रखा जाता है। फिर अगले वर्ष "ऐश वेडनसडे" (राख बुधवार) से पहले इन पत्तियों को जलाकर उनकी राख तैयार की जाती है। इसी राख को ऐश वेडनसडे के दिन भक्तों के माथे पर लगाया जाता है, जो तपस्या और पश्चाताप का प्रतीक है। 
2- यीशु का गधे पर चढ़कर आना यहूदी धर्म के भविष्यवाणियों को पूरा करना था 
पाम संडे पर यीशु मसीह का गधे पर चढ़कर यरूशलेम आना महज एक यात्रा नहीं थी, बल्कि यहूदी धर्मग्रंथ जकारिया का भविष्यवाणी का पूरा होना था। यह भविष्यवाणी कहती है कि "तुम्हारा राजा गधे पर सवार होकर आएगा" जो दर्शाता है कि वह विनम्र और शांतिप्रिय राजा है। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं।  
3- कुछ देशों में 'पाम' की जगह दूसरी पत्तियां होती हैं इस्तेमाल 
भारत सहित दुनिया के कुछ हिस्सों में जहां खजूर की पत्तियां आसानी से नहीं मिलतीं, वहां स्थानीय पौधों की पत्तियों का इस्तेमाल पाम संडे की रस्मों के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, फिलीपींस में नारियल की पत्तियां और कुछ अफ्रिकी देशों में जैतून या अन्य वृक्षों की पत्तियों का प्रयोग होता है। भारत के भी कुछ हिस्सों में स्थानीय पेड़-पौधों से बनी 'पाम' प्रतीकात्मक रूप से प्रयोग की जाती हैं। 
4- यह पर्व 'खुशी' और 'दुख' दोनों का प्रतीक है
पाम संडे बाहरी रूप से तो उत्सव जैसा लगता है, जैसे जयकार, स्वागत और खजूर की पत्तियों से रास्ता सजाना। लेकिन असल में यह दुख की शुरुआत भी होती है जिसे 'Holy Week' कहा जाता है। यीशु का यरूशलेम में प्रवेश उसके क्रूस पर चढ़ने की ओर पहला कदम था। इसलिए यह पर्व ईसाई धर्म में खुशी और दर्द का अनूठा मिश्रण है, जो लोगों को आध्यात्मिक गहराई में जाने का अवसर देता है। 
 5- प्राचीन काल में पाम संडे को 'फ्लॉवर संडे' भी कहा जाता था
इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में इसे कभी-कभी 'फ्लॉवर संडे' कहा जाता था, क्योंकि लोग चर्च में फूलों के साथ जाते थे। यह मौसम के परिवर्तन और जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता था।


 

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