राज्य के तीन जिलों रांची, लोहरदगा और गुमला में शिक्षा के जरिये सामाजिक बदलाव की मौन क्रांति हो रही है। यह शिक्षा के जरिये सामाजिक परिवर्तन लाने की कहानी तो है ही, गांवों के उत्थान और देशज संस्कृति के पुनर्जागरण की भी कहानी है।
कठिन संघर्ष के बीच से हम प्राय: जीत हासिल करने की कहानियां सुनते रहते हैं। ऐसी ही एक और मिसाल सामने आयी है।
स्कूल प्रिंसिपल ने अपने स्कूल के छात्रों की मदद के लिए 1 करोड़ रुपये क्राउड फंडिंग से जुटा लिए। इन पैसो से ऐसे छात्रों की फीस भरी गई ,जिनके अभिभावकों का काम छूट गया और वे अपने बच्चो की स्कूल फीस देने में असमर्थ हो गए
जूनून और संघर्ष करने का जज्बा हो तो क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। इसी कथन की पुष्टि कर रही हैं JNU की छात्रा रही सरिता माली। सरिता माली का चयन अमेरिका की कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में हुआ है। अब वो JNU से Ph.D करने के बाद अमेरिका जाएगी
राज्य निदेशक हनी सिन्हा ने सफल प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं तथा भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाया।
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों' कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों को गुनी गांव के लोक प्रेरक दीदियों और ग्रामीणों ने चरितार्थ कर दिखाया है। झारखंड की राजधानी रांची से 30 कि.मी. दूर खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड में घुन्स
आज के स्वावलंबी युवा कल के नवप्रवर्तक, निर्माता और नेतृत्वकर्ता हैं। गोद लिए हुए गांवों की महिलाओं एवं युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मेकॉन सतत प्रयासरत है I इस दिशा में मेकॉन इन गांवों के लोगों के लिए सिलाई-कढाई, पढाई एवम अन्य कार्यों में प्रशिक्ष
कभी पत्रकार रहीं माेनिका आर्य की संवेदनशीलता अब उन बच्चों को बचाने में लगी है, जिनका कोई नहीं होता। उनकी अगुवाई में पा-लोना की टीम लोगों की मदद से गत 7 वर्षों से फुटपाथ या झाड़ियों में फेक दिये गए नवजात शिशु को उठाती है और उसे ममता की छांव देती है।
कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट (सीएमए) इंटरमीडिएट परीक्षा में ऑल इंडिया टाॅपर सर्वेश साबू हुए हैं। वही सर्वेश जो अपनी रांची के हैं। उनका घर अपर बाजार स्थित कार्ट सराय रोड में है। जिनके पिता अरुण साबू व्यवसायी तो मां रंजना साबू गृहिणी हैं। सर्वेश ने कुल 800
यह तस्वीर रांची स्थित राजभवन के दरबार हॉल की है। सूबे के राज्यपाल रमेश बैस युवाओं से घिरे हुए हैं। सभी के हाथ में एक प्रमाण पत्र दिख रहा है, जो उन्होंने थाम रखा है। वहीं सभी के चेहरे पर एक अनोखी गर्वाेक्ति है। ऐसा भला क्यों न हो। दरअसल सभी युवा राज्य के अ
'कहते हैं कि किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उसे मिलाने में जुट जाती है।' रांची के कुछ बच्चों ने इसे जीवंत कर दिखाया है। इन युवाओं में मंयक बिम्बिसार टोप्पो(नगड़ा टोली), अमृता सृष्टि खलखो(कांटा टोली), अंकित डुंगडुंग (लोवाडीह), राजू तिर्की (
झारखण्ड सदा से ही अपनी ख़निज सम्प्रदा और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर रहा है। लेकिन अब झारखण्ड की बेटियां गलैमर दुनिया की ओर भी अपना कदम बढ़ा रही हैं। आये दिन ऐसी तमाम खबरें आती रहती हैं। इसी क्रम में झारखण्ड की बेटी स्मिता भावना की आई है।