ये नजारा चतरा जिले के डूब पंचायतके उकसू गांव का है। कभी, गन्ना उत्पादन के लिए विख्यात रहे इस गांव में उस गौरव का अवशेष भर ही बचा है।
लाल आतंक ने मांझीपारा गांव से क्या छीना, ये टूटे फूटे खंडहरनुमा मकान, कच्ची पगडंडियां और सूखे पड़े खेत बखूबी बता रहे हैं। मांझीपारा ने पिछले करीब 30 दशक में जो सबसे ज्यादा दंश झेला वो पलायन का था।
जिस आदमी ने पिछले 3 साल में दिन और रात का फर्क भूलकर, पहाड़ काटा और रास्ता बनाया ताकि सरकार और प्रशासन के वादों और घोषणाओं में कैद विकास, उनके गांव तक पहुंच सके, वही माउंटेन मैन बुनियादी सुविधाओं से महरूम है।
सरकार से मिला एक अदद अंबेडकर आवास, हर महीने पेट भरने को सरकारी राशन और अपने पूर्वजों द्वारा किए संघर्ष की धूमिल होती यादें, यही रामनंदन की कुल जमापूंजी है।
प्रतापपुर गांव में 600 की आबादी वाले मौनाहा टोला में पानी में निर्धारित मानक से 5 गुना ज्यादा फ्लोराइड है। इस गांव का तकरीबन हर आदमी फ्लोरोसिस से पीड़ित है।
सरकारी दस्तावेजों में विकास पर क्या लिखा है? उस पर मत जाइये। राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में वादा क्या था, जाने दीजिए। नेताजी जी ने मंच से क्या कहा था, भूल जाइये। विकास कहां है, जवाब ढूंढ़ने की जरूरत नहीं। पलामू के रामगढ़ प्रखंड के इन ग्रामीणों का पहाड़ तो
अब बिंदास होकर यूजर्स व्हाट्सएप पर DP लगा सकते हैं। अब कोई इसका स्क्रीनशॉट नहीं ले पाएगा। दरअसल, WhatsApp ने प्रोफ़ाइल पिक्चर का स्क्रीनशॉट लेने पर लगाम कस दी है।
हम आपको, घने जंगलों और हरियाली के लिए मशहूर झारखंड राज्य में कथित विकास की वजह से दम तोड़ते लाह उद्योग की मार्मिक कहानी बताना चाहते हैं।
पलामू लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 2 बार से सांसद बीजेपी के बीडी राम को मात देने के लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हीं के तरकश से निकाला हुआ तीर इस्तेमाल करने का मन बना लिया है।
प बंगाल के 2 गांवों की चिट्ठियां, मनीऑर्डर और अन्य डाक सामग्री झारखंड के पते पर आती हैं। ऐसा ब्रिटिश काल से हो रहा है। दूसरे शब्दों में प बंगाल के ये दोनों गांव झारखंड डाक विभाग के अधीन आते हैं।
द फॉलोअप लोकसभा विशेष में आज किस्सा धनबाद लोकसभा सीट की। धनबाद जो पिछले 3 आम चुनावों से बीजेपी का अभेद्य किला बना हुआ है। धनबाद, जहां की जनता ने कांग्रेस, बीजेपी और वामपंथी पार्टियों को अलग-अलग अंतराल पर जीत से नवाजा।
पिछले आम चुनाव में बीजेपी जरूर 11 सीटें जीतने में सफल रही थी लेकिन राजमहल और सिंहभूम में हार की कसक आज भी चुभती है।