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प बंगाल के इन 2 गांवों की चिट्ठियां आती हैं झारखंड के पते पर, वजह जान हैरान होंगे आप 

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दीपक झा, जामताड़ा

प बंगाल के 2 गांवों की चिट्ठियां, मनीऑर्डर और अन्य डाक सामग्री झारखंड के पते पर आती हैं। ऐसा ब्रिटिश काल से हो रहा है। दूसरे शब्दों में प बंगाल के ये दोनों गांव झारखंड डाक विभाग के अधीन आते हैं। इन दोनों गांवों के नाम हैं धानगुड़ी और डोमदाहा। ये दोनों जामताड़ा के मिहिजाम के निकट हैं और प बंगाल के सबसे पश्चिमी छोर पर हैं। इनका पिन कोड और पता झारखंड के सीमावर्ती इलाके का है। दोनों गांव बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के आसनसोल उपखंड में हैं। ये सालानपुर प्रखंड में स्थित हैं। यहां का लोकसभा क्षेत्र आसनसोल है। थाना सालानपुर है। विधानसभा क्षेत्र बाराबनी है। इस प्रकार दोनों गांवों की सभी प्रशासनिक गतिविधियाँ पश्चिम बंगाल में हैं, लेकिन डाकघर झारखंड के अधिकार क्षेत्र में है।

कया होती है परेशानी 

झारखंड का पता होने के काऱण पत्र, मनीऑर्डर, बैंक चेक बुक, सरकारी सेवा दस्तावेज, नौकरी में शामिल होने के पत्र से लेकर हर चीज झारखंड राज्य में घूम कर इन दो गांवों के लोगों के हाथों तक पहुंचती है। इससे यहां के निवासियों को पत्र पहुंचने में देरी और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। इसीलिए स्थानीय लोग लंबे समय से इन दोनों गांवों को निकट के हिंदुस्तान केबल्स या रूपनारायणपुर उपडाकघर से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। आसनसोल मंडल के सहायक डाकघर अधीक्षक ने सालानपुर प्रखंड विकास अधिकारी को पत्र लिख कर दोनों गांवों के लगभग 650 निवासियों के लिए एक नया डाकघर शुरू करने की सलाह दी है। 

गांव वाले कर रहे है नये डाकघर की मांग 

गांव वाले कई  बार अपने लिए डाकघर की मांग कर चुके है। 6 अप्रैल 2017 को आसनसोल डिविजनल पोस्ट ऑफिस को एक संयुक्त ज्ञापन भेजा गया। इसमें घर के डीएजी नंबर, जेएल नंबर का उल्लेख किया गया था। अल्लाडीह ग्राम पंचायत के प्रमुख सलीम मिया ने 1998 से 2003 के बीच कई बार इस मुद्दे को उठाया। आसनसोल के पूर्व सांसद विकास चौधरी ने भी पूर्व विधायक दिलीप सरकार को पत्र लिखा था। लेकिन आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीण बताते हैं कि वोटर कार्ड, राशन कार्ड, बैंक पासबुक आदि दस्तावेज कहीं प्रस्तुत करने में दिक्कत होती है। पश्चिम बंगाल में जाओ तो लोग झारखंड का बताते हैं। झारखंड में जाओ तो लोग हमें पश्चिम बंगाल का बताते हैं। या तो हमे पश्चिम बंगाल में ही पूरी तरह शामिल किया जाए या फिर झारखंड में रखा जाये।

 

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