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15 साल का वनवास काटकर लौटा हूं, जेल से निकलने के बाद बोले एनोस एक्का

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द फॉलोअप डेस्क

15 वर्षों के वनवास काटकर आपके बीच सेवा के लिए आपका बेटा आया है। ये बात पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का ने 5 मई शुक्रवार को सिमडेगा के ठेठईटांगर प्रखंड के केरया जीईएल चर्च पास्टोरेट महिला समिति की द्वितीय वार्षिक अधिवेशन में कही। उन्होंने कहा कि इस बीच हर पल इस क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में साथ देने के लिए हमेशा साथ खड़ा रहा और अब आप लोगों के बीच में आकर क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सत्ता और पद में ना रहते हुए भी क्षेत्र की विकास के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में क्षेत्र में जो विकास के कार्य रुक गए थे उसे फिर से युद्ध् स्तर पर पूरा किया जाएगा। ताकि यहां के लोगों को उनका हक अधिकार दिलाया जा सके। बता दें कि अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का शमिल हुए। कार्यक्रम में काफी संख्या में मसीही समुदाय की महिलाएं एवं पुरुष तथा झारखंड पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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किसी के बहकावे और झूठा आश्वासन में ना आकर एक बार फिर से करें सहयोग

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मासी समुदाय के महिलाओं को संबंधित करते हुए एनोस एक्का ने कहा कि किसी के बहकावे अथवा किसी भी प्रकार की झूठा आश्वासन में ना आकर एक बार फिर से सहयोग करने की बात कही। गौरतलब हो कि पूर्व मंत्री के क्षेत्र में आगमन के साथ ही लोगों का काफी रुझान देखने को मिल रहा है। उनके आगमन की सूचना पर प्रत्येक दिन क्षेत्र के लोग उनके आवास में मुलाकात कर रहे हैं।

'समाज, कलीसिया और राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका अहम'

अधिवेशन के दौरान फादर के अगुवाई में मिस्‍सा पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें अन्य पुरोहितों ने सहयोग किया। इस अवसर पर पर रंगारंग आदिवासी सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इस दौरान  उन्होंन लोगों को संदेश देते हुए कहा कि हमारे जीवन में ईश्वर का वचन तब पूरा होता है, जब हम उसे ध्यान से सुनते और उस पर मनन-चिन्तन करते हैं। हमें भी जीवन में माता मरियम की तरह संयम होना चाहिये। हमारे मुख से निकलने वाले शब्दों से शांति की स्थापना होनी चाहिए।आगे कहा कि हम वचन के श्रोता ही नहीं, बल्कि उसके पालनकर्ता बनें। माता मरियम की तरह हम सुनने के लिए तत्पर रहें और बोलने तथा क्रोध करने में देर करें। अपने शब्दों से किसी को भी चोट न पहुंचाएं। परिवार की मां जिस तरह अपने औलाद की खुशी के लिए दुख उठाती है और त्याग करती है। उसी तरह समाज, कलीसिया और राष्ट्र निर्माण में भी महिलाओं की भूमिका अहम है। धर्मशास्त्र बाइबल के अनुसार परमेश्वर के नजरों में समाज में महिलाओं को उंचा स्थान है। विश्वासी मां बहनों को प्रेम, सेवा, क्षमा और त्याग जैसे ख्रीस्तीय मूल्यों में बढऩे और माता मरियम की तरह ही अपनी मध्यस्थता में ईश्वरीय योजनाओं को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें। कहा कि शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता।

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