द फॉलोअप डेस्क
यह नई ब्लड डोनेशन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस वातानुकूलित बस है, जो लगभग 5 महीनें से सरकारी बाबुओं की लापरवाही से मामूली कागज़ों की वजह से सरकारी धूल फांक रही है। यह बस की क़ीमत 90 लाख है जो शायद दान में दी गई है। वह भी उस प्रतिष्ठित संस्था को जिसके अध्यक्ष ख़ुद एक आईएएस यानि के डीसी हैं। और तो और जिसके संरक्षक राजपाल हैं। वह भी भारत की सबसे पुरानी साहसिक-ऐतिहासिक-प्रतिष्ठित और चर्चित संस्था "रेड क्रॉस सोसाईटी"। बता दें कि ब्लड डोनेशन वातानुकूलित बस की तस्वीर 28 जनवरी 2023 को ली गई थी। लेकिन आज भी स्थिति अलग नहीं है। ये जानकारी रांची स्थित लहू बोलेगा संस्था द्वारा 31 मार्च शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इस देशव्यापी संस्था का ब्रांच लगभग सभी शहरों में मौजूद है। झारखंड की राजधानी रांची में भी है। लेकिन, राजधानी रांची में रेड क्रॉस सोसाईटी की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है।
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सदुपयोग लापरवाही और दुर्भाग्यपूर्ण से भरा
उन्होंने बताया कि रांची में जहां रेड क्रॉस सोसाईटी का बड़े कैंपस में कार्यालय है। उसका सदुपयोग लापरवाही और दुर्भाग्यपूर्ण से भरा हुआ है। कहा कि रेड क्रॉस सोसाईटी का कार्यालय भी झारखंड और रांची की बागडोर संभालने वाले इलाके यानि के सबसे पॉश-प्रशासनिक-राजनैतिक मोराबादी इलाके में है। वह भी रांची डीसी के सरकारी बगले के बगल में है। बवाजूद यह स्थिति है।
‘रेड क्रॉस सोसाईटी’ स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण-लापरवाही-ग़ैर जवाबदेह
1. इस नई नई ब्लड डोनेशन वातानुकूलित बस की स्थिति से ही प्रतीत होती है।
2. दूसरी की यहां रक्तदान शिविर बेहद कम होता है तो स्वाभाविक है कि स्टॉक कम रहेगा या नहीं ही रहेगा।
3. यहां रक्तदान निःशुल्क लिया जाता है। लेकिन, जब उसी रक्तदान करने वालों को ब्लड लेना होता है तो 1200 रुपये में बेचा जाता है (भले ही आप उसे सभ्य भाषा में प्रोसेसिंग चार्ज बोले)।
4. यहां एक ही ब्लड कंपोनेंट (हॉल ब्लड) मिलेगा। बाकि कोई भी ब्लड कंपोनेंट सालों साल से नहीं है।
5. यहां मात्र एक डॉक्टर और एक टेक्निकल स्टाफ़ के सहारे है। जबकि नॉन टेक्निकल स्टाफ 9 है।
6. यहां दो पीस चेयर के सहारे रक्तदान होता है।
7. रक्तदान से संबंधित एक भी प्रचार-प्रसार की सामग्री नहीं है। साथ ही रक्तदाता को एक भी गिफ़्ट (कीरिंग,टीशर्ट, टोपी) भूल कर भी नहीं मिलती।
8. रेड क्रॉस सोसाईटी रांची में मनपसंद लोगों को लेकर या बुलाकर सदस्य बनाया जाता है। जिनमें न ही अधिक्तर ब्लड डोनर न ही रक्तदान संगठन के लोग शामिल होते है। अपवाद छोड़ कर माना जाए, बल्कि मूलभावना के विपरीत इन्हीं लोगों जोड़कर हास्यास्पद तरीके से लोकतांत्रिक चुनाव होता है। जिसमें शायद इसी का नतीज़ा होता है कि 10 सदस्यीय टीम जीतकर आती है और वही होता है। जिसकी उम्मीद की जा सकती है, हुआ भी वही कि अधिक्तर निर्वाचित लोग सालों पहले ही छोड़ चुके है। कुछ तो कुव्यवस्था को ठीक करने की उम्मीद से नाउम्मीद होने के बाद छोड़ दिए। अब केवल स्टाफ़ जो कि कार्यकारी अध्यक्ष एवं सचिव और वह भी ख़ुद यहां के स्टाफ़ है उनके भरोसे रेड क्रॉस सोसाईटी रांची चल रही है।
राज्य सरकार से की मांग
इस दौरान संस्था ने झारखंड राज्य के राजपाल, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अध्यक्ष रांची से मांग की है। उन्होंने इन सभी मुद्दों एवं रेड क्रॉस सोसाईटी सहित झारखंड में रक्तदान पर ध्यानाकर्षण हो।
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