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कोरोना के कहर के बीच कब और कैसे खुलेंगे स्कूल? जानिए ! सरकार की तैयारी

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द फॉलोअप टीम
रांची-कोरोना महामारी के बीच स्कूलें पूरी तरह से ठप हो गई हैं। तीन महीने से बंद स्कूलों को फिर से खोलने पर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन इसको लेकर लगातार चर्चाएं जारी है। शिक्षा विभाग ने स्कूल खोलने को लेकर पावर प्वांइट प्रजेंटेशन केंद्र सरकार को सौंपा है। दरअसल 15 अगस्त से स्कूलों को खोलने की तैयारी चल रही है। जिसके चलते सावधानियां बरतने पर खासमखास तैयारियां की जा रही है। इस प्रजेंटेशन में इसी तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई है। पाठ्यक्रम में हुए ये संशोधन जमीनी हकीकत पर कितना उतर पाती है, ये तो अब स्कूलों के खुलने के बाद ही पता चल पाएगा? 
कक्षा चलाने को लेकर तैयारियों पर मंथन 
अब स्कूलों को नये सिरे से शुरू करने पर मंथन हो रहा है। क्लास रूम में छात्र-छात्राओं की संख्या सीमित रखी जाएगी। इसके तहत स्कूलों में एक बेंच पर एक ही बच्चे को बैठाया जा सकता है। साथ ही क्लास रूम के बाहर भी कक्षाएं चलाई जा सकती है। पढ़ने के लिए ऑनलाइन विकल्प पर चर्चा की जा रही है। इसमें आने वाली परेशानियों को दूर करने की योजना है। छात्रों की उपस्थिति के लिए सम-विषम रोल नंबर का तरीका अपनाया जा सकता है। 
स्कूलों को इन बातों का रखना होगा ध्यान  
गेट पर सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था 
पढ़ने आए बच्चों के जूतों को करना होगा सैनिटाइज
छुट्टी के समय सोशल डिस्टेंशिंग का करना होगा पालन 
सम विषम के आधार पर बच्चों की होगी क्लास
बच्चों के लिए बेंच और डेस्क की बढ़ानी होगी संख्या 
बारिश में हॉल में बैठाने के लिए करनी पड़ेगी व्यवस्था 
खुले आसमान में कक्षा का विरोध
दरअसल शिक्षा विभाग खुले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ाने के बारे में सोच रहा है लेकिन अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने बच्चों को खुले में पढ़ाने का विरोध किया है। वहीं रांची शिक्षा पदाधिकारी कमला सिंह ने कहा कि स्कूलों को खोलने के दौरान एहतियातन एक बेंच छोड़कर बच्चों को बिठाया जाएगा। स्कूलों को खोलने के आदेश के साथ ही व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा। जगह कम पड़ने पर खुले में भी बच्चों को पढ़ाया जा सकता है।
कोरोना के खौफ से सहमे अभिवावक
इधर अभिवावक की मंशा क्या है? वो बच्चों को कब स्कूल भेजना चाहते हैं? स्कूल खुलता है तो बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे? ऐसे तमाम सवालों को लेकर अभिभावक भी असमंजस में हैं। ज्यादातकर लोगों का कहना है कि बच्चों को स्कूल तभी भेजना चाहेंगे जब कोरोना पूरी तरह खत्म हो जाएगा या इसकी कोई वैक्सीन आ जाएगी तब। वहीं कुछ अभिभावकों का ये मानना है कि जब भी स्कूल खुले तो केवल 9वीं से 12वीं तक की क्लास चले, जबकि केजी से 8वीं तक की क्लास ऑनलाइन ही हो।