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डॉ. सिराजुद्दीन के इलाज में आया लाखों का खर्चा, सरकार ने मदद नहीं केवल आश्वासन दिया

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द फ़ॉलोअप टीम, रांची:
रिम्स के जूनियर डॉक्टर सिराजुद्दीन की कोरोना से हुई मौत समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके इलाज के लिए रिम्स के पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने उनकी आर्थिक मदद की थी। अब चिकित्सकों में इस बात आक्रोश है कि सरकार ने भी अब तक बस सांत्वना ही दिया है। किसी तरह की मदद नहीं की गई। 

डॉ. सिराजुद्दीन को नहीं मिली सरकारी मदद
सिराजुद्दीन के इलाज के लिए जब भी किसी चीज की जरूरत हुई तो सिर्फ रिम्स के डॉक्टर्स ही मदद के लिए आये। मदद के लिए डॉक्टरों के ही हाथ बढ़े थे। ब्लड देने से लेकर आर्थिक मदद तक में रिम्स के साथी चिकित्सकों ने ही दिवंगत सिराजुद्दीन की सहायता की। सरकार से किसी तरह की सहायता नहीं मिली। जानकारी के मुताबिक टीम प्रन्यास के साथ डॉ. स्मिता गुप्ता और उनके दोस्तों ने ही डॉ. सिराजुद्दीन की सहायता की। सरकार ने आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया। 

डॉ.स्मिता ने जुटाई थी 2 लाख की रकम
पैथोलॉजी विभाग की चिकित्सक डॉ स्मिता गुप्ता हमेशा से ही लोगों की मदद करते आयी है।  नियमित रूप से रक्तदान करना एवं लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करना उनकी आदत रही है। ऐसे में जब सिराजुद्दीन की इलाज के लिए रुपये चाहिए थे तो  दो स्मिता ने खुद और अपने कुछ दोस्तों की मदद से सिराजुद्दीन की इलाज के लिए दो लाख की आर्थिक मदद की थी। 6 अप्रैल को भी डॉ संजय कुमार  के द्वारा रिम्स टीचर एसोसिएशन ग्रुप में रिम्स के ही 98 बैच के चिकित्सक डॉ राजन के लिए मदद मांगी गयी थी। उस समय भी डॉ स्मिता  गुप्ता ने अपने दोस्तों  के  सहयोग  से 22 हज़ार की अर्थिक मदद की थी।

सरकार की ओर से अब तक कोई पहल नहीं
डॉ सिराजुद्दीन की नाज़ुक स्थिति के मद्देनजर पैथोलॉजी पीजी के छात्रों ने काफ़ी तत्परता से  40  हजार रुपये की आर्थिक मदद की थी। विभाग  के सीनियर चिकित्सकों ने भी मदद पर सहमति जतायी थी। डॉ सिराजुद्दीन की इलाज में लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन सरकार ने अब तक कोई पहल नहीं की है। ऐसे में रिम्स के जूनियर डॉक्टर जल्द से जल्द उनके परिवार को मदद करने की गुहार कर चुके हैं। टीम प्रन्यास के अध्यक्ष डॉ चंद्रभूषण ने बताया कि चिकित्सक अगर संक्रमित होते हैं तो इनके इलाज की पूरी व्यवस्था सरकार की ओर से सुनिश्चित किया जाना चाहिए।