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झारखंड : हाईकोर्ट से 4 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक संचालकों को मिली बड़ी राहत

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द फॉलोअप डेस्क   

झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को भ्रूण जांच को लेकर पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों को दिए गए रजिस्ट्रेशन का विरोध करने वाले जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने चार अल्ट्रासाउंड क्लीनिक संचालकों को राहत दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन चार अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों के मामले में डीसी जमशेदपुर ने आदेश पारित किया था, ये अल्ट्रासाउंड क्लीनिक हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक से प्रभावित नहीं होंगे। हस्तक्षेपकर्ता में से शेष 10 लोगों के मामले में नवीनीकरण के आवेदन लंबित थे। ऐसे में सक्षम पदाधिकारी के द्वारा उन सभी आवेदनों पर नवीनीकरण के संबंध में निर्णय लिया जाए। कहा कि इस जनहित याचिका के लंबित रहने का उस निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं होगा। मालूम हो कि मामले में 14 अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों की ओर से हस्तक्षेप याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। जिसमें उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि कोर्ट द्वारा इनके संचालन पर लगी  रोक को हटाने एवं कोर्ट के आदेश में सुधार कोर्ट से आग्रह किया था। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई।

डीसी ने निर्गत किया था नवीनीकरण सर्टिफिकेट

सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि 14 हस्तक्षेपकर्ता में से चार आवेदनकर्ता ऐसे हैं जिनके मामले में डीसी ने नवीनीकरण सर्टिफिकेट निर्गत किया था। अन्य 10 के मामले में नवीनीकरण आवेदन काफी पूर्व में जमा किए गए थे, जिस पर 90 दिन के भीतर निर्णय नहीं लिए जाने से स्वत: नवीनीकरण से संबंधित प्रावधान लागू होंगे। इसलिए बाद में तत्कालीन सिविल सर्जन के द्वारा यदि कोई आदेश अथवा पत्र निर्गत भी किया गया है तो हस्तक्षेपकर्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः इन्हें अल्ट्रासाउंड क्लीनिक चलाने से रोकना उचित नहीं है। इस पहले हुई मामले के सुनवाई में कोर्ट के आदेश के आलोक में पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा 27 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक को दिए गए रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था जमशेदपुर डीसी ने 27 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक को काम करने पर रोक लगाई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने पैरवी की।

लॉकडाउन के समय अल्ट्रासाउंड क्लिनिको को दिया गया रजिस्ट्रेशन   

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया था कि एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में मामले को लेकर वर्ष 2020 में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कराई गई हैं। जिसकी रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। वही, प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया था कि पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर महेश्वर प्रसाद ने अल्ट्रासाउंड क्लिनिको को रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट दिया था। जबकि यह अधिकार सिर्फ उपायुक्त (CC) के पास होता है। लेकिन, वर्ष 2020 में सिविल सर्जन ने अपने रिटायरमेंट के तीन दिन पहले इन अल्ट्रासाउंड क्लिनिको को रजिस्ट्रेशन देने का काम किया, जो गलत है। तत्कालीन सिविल सर्जन ने वैसे समय इन अल्ट्रासाउंड क्लिनिको को रजिस्ट्रेशन दिया गया जिस समय केंद्र सरकार के द्वारा कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगाया गया था। बता दें कि कुमार मनीष ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पूर्व पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन सिविल सर्जन द्वारा अल्ट्रासाउंड क्लीनिक को दिए गए रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने की मांग की थी। साथ ही उनकी संपत्ति की भी जांच करने की मांग की है।

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