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यह हाईकोर्ट पूरे देश के लिए एक लैंडमार्क होगा साबित, अन्य राज्य भी इससे होंगे प्रेरित- राष्ट्रपति

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द फॉलोअप डेस्क
यह हाईकोर्ट पूरे देश के लिए एक लैंडमार्क साबित होगा। मैं सभी को बधाई देना चाहूंगी जिन लोगों ने भी हाईकोर्ट को बनाने में अपना योगदान दिया। एक बहुत ही दिव्य अनुभव मेरे लिए है। यह बातें बुधवार को रांची में नए हाईकोर्ट भवन के उद्धाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि इस हाईकोर्ट बिल्डिंग से अन्य राज्य भी प्रेरित होकर आधुनिक सुविधाओं से लैस न्यायिक भवन का निर्माण करेंगे। यह न्याय का मंदिर है। यह विकास की तरफ एक नया कदम है। एक बेहतरीन इनिशिएटिव है।

हिंदी में भाषण देने पर चीफ जिस्टिस को दिया धन्यवाद
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का प्रयोग होता है। जिससे यह कई लोगों के लिए सरल नहीं हो पाता है। मैं यहां भाषा की बात कर रही हूं जबकि मैं खुद भी अंग्रेजी में भाषण दे रही हूं। हालांकि, उन्होंने चीफ जस्टिस को धन्यावाद दिया। कहा, उन्होंने आज यहां हिंदी में भाषण दिया। मुझे लगता है सिर्फ आज के लिए नहीं आगे के लिए भी आप इसी तरह से हिंदी में भाषण देंगे। आप से प्रेरित होकर दूसरे जज भी इस तरह से अपनी स्थानीय भाषा का प्रयोग करेंगे। हमें न्यायिक प्रक्रिया में अपनी भाषा का प्रयोग करना होगा।

 

टेक्नोलॉजी की वजह से भी न्यायिक व्यवस्था में आई है तेजी
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी की वजह से भी न्यायिक व्यवस्था में तेजी आई है। अच्छी बात यह है कि यह भवन भी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। आगे राष्ट्रपति ने कहा कि आज यहां कोर्ट के तमाम विद्वान बैठे हैं। कुछ केस हाईकोर्ट में फाइनल होते हैं, बहुत सारे केस सुप्रीम कोर्ट में होते हैं। जिनके फेवर में सकारात्मक फैसला आता है वह नाचते हैं, गाते हैं। किसी को 5 साल के बाद, किसी को 10 साल के बाद तो किसी को 20 साल के बाद न्याय मिलता है। इससे यह पता चलता है कि न्यायिक व्यवस्था मे देर है लेकिन अंधेर नहीं है। इतने सालों के बाद न्याय मिलने पर वह खुश होते हैं लेकिन उनकी खुशी कुछ दिन में ही गायब हो जाती है। क्योंकि इतने दिनों से समय, रुपया बर्बाद किए, नींद कितना कुछ खोया होता है। इतने साल के इंतजार में उनको जो न्याय मिलता है उससे वह थोड़ी देर के लिए खुश तो होते हैं लेकिन वह एक्चुअल खुशी में कन्वर्ट नहीं होता। तो वह फिर वह दुखी हो जाते है।

फैमिली काउंसिलिंग सेंटर में थी मेंबर
राष्ट्रपति ने कहा कि वे एक छोटे से गांव में से आई हैं। एक छोटे से फैमिली काउंसलिंग सेंटर में मेंबर थीं। हम फाइनल फैसला देने के बाद विजिट करते थे। जिनको हमने फैसला सुनाया वह ठीक-ठाक है या नहीं। वह कैसे रहते हैं, क्या करते हैं। कई बार लोग मेरे पास आते हैं अपनी तकलीफ लेकर। कहते हैं मैं तो जीत गया लेकिन मुझे जो न्याय मिलना चाहिए वह नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं इसका कुछ रास्ता है या नहीं। क्या लोगों का जो समय, पैसा, नींद, चैन गया औऱ जो उन्हें लगता है कि उनको न्याय नहीं मिला तो क्या उनको कभी न्याय मिल पाएगा। मुझे नहीं पता कि इसका क्या रास्ता है लेकिन मुझे लगता है इसका रास्ता निकल सकता क्योंकि मैं एक निचले स्तर से आती हूं। इसका रास्ता जरूर होगा। नियम हम बनाते हैं। अगर रास्ता नहीं है तो बनाना चाहिए। उनको तो न्याय मिलना चाहिए। मैं बहुत सारे मामले को चीफ जस्टिस इंडिया के पास भेजूंगी। मुझे लगता है उन लोगों को खुशी मिलना चाहिए। उनको न्याय मिलना चाहिए। आखिर वह जाए तो जाए कहां। सुप्रीम कोर्ट के बाद और कोई कोर्ट भी तो नहीं है। भाषण के आखिरी में राष्ट्रपति ने जय भारत व जय झारखंड कहकर अपना भाषण समाप्त किया।

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