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हाईकोर्ट ने दिया आदेश, नेता प्रतिपक्ष का मसला एक सप्ताह में करें हल, नहीं तो विधानसभा सचिव को सशरीर होना होगा उपस्थित

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द फॉलोअप डेस्क

झारखंड हाईकोर्ट में 3 मई बुधवार को सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित अवमानना याचिका समेत राज्य की 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद रिक्त रहने को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र की बेंच में हुई। जिसमें कोर्ट ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विरोधी दल के नेता के चुनाव का मसला हल करें, अन्यथा विधानसभा के सचिव को अगली सुनवाई के दिन सशरीर हाजिर होना होगा। इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष नहीं रहने की वजह से कई वैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। कहा कि दलबदल का मामला विधानसभाध्यक्ष के न्यायाधिकरण में अब तक लंबित है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की। जबकि प्रार्थी राजकुमार की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा और नवीन कुमार ने पक्ष रखा। वहीं, कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 मई को तारीख तय की है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा सचिव को बनाया था प्रतिवादी

मालूम हो कि इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विधानसभा सचिव को प्रतिवादी बनाया था। और उनको जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने विधानसभा में विपक्ष के नेता के रिक्त पद के संबंध में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पद को लेकर विधानसभा के स्पीकर द्वारा अयोग्यता के मामले को क्यों नहीं डिसाइड किया जा रहा है? उल्लेखनीय है कि अब तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। वहीं झारखंड में बाल आयोग, मानवाधिकार आयोग, पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी, लोकायुक्त सहित 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद खाली पड़ी है। सूचना आयोग में खाली पड़े पद को लेकर राजकुमार की ओर से अवमानना याचिका भी दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने के लिए विपक्ष के नेता का पद के रिक्त रहने से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने बताया कि कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर विपक्ष के नेता नहीं हैं तो विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को कमेटी में रखकर राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त और अन्य पदों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। राजकुमार की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2020 में ही सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने का अंडरटेकिंग दिया गया था। लेकिन, अब तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है।

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