द फॉलोअप डेस्क
झारखंड गठन होने के 22 वर्ष बाद भी अल्पसंख्यक आयोग, वक्फ बोर्ड, हज समिति, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का गठ़न, उर्दू शिक्षकों की बहाली का काम अबतक नहीं हो पाया है जिसके कारण झारखंड में अल्पसंख्यकों का विकास थम सा गया है। ये आरोप झारखंड अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एस अली ने लगाया है। एस अली ने हेमंत सरकार के कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किये हैं।
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तीन वर्ष में एक भी राशि केन्द्र सरकार से नही मिली
एस अली ने कहा की जेएमएम कांग्रेस राजद महागठबंधन सरकार का गठ़न 29 दिसम्बर 2019 को हुई, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद अबतक 15 सुत्री समिति गठ़न की अधिसूचना जारी नही किया गया। केवल 23/12/2022 को आदेश पत्र जारी किया गया है, जिसकी कोई महत्व नही है। बाहरी कोटे से सदस्यों के चयन में नियमों का पालन भी नही हुआ। 15 सुत्री समिति नही होने के कारण अल्पसंख्यक विकास की कोई भी प्रस्ताव केन्द्र सरकार को नही गया। नतीजतन पिछले तीन वर्ष में एक भी राशि केन्द्र सरकार से नही मिल पाया।
15 सुत्री समिति के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार का अल्पसंख्यक विकास के लिए राशि
वर्ष केन्द्रीय राशि
2016-2017: 1625.29
2017-2018: 1779.89
2018-2019 : Nil
2019-2022: 5851
इसमें राज्य द्वारा दिये गये राशि अलग से है।
वर्ष केन्द्रीय राशि
2020-2021: 00
2021-2022: 00
2022-2023: 00
एस अली ने कहा कि इस नुकसान का जिम्मेदार कौन है । अब 15 सुत्री समिति या दूसरे बोर्ड/ निगम/ आयोग गठ़न भी कर दिया जाता है तो उसकी महत्व लगभग खत्म होगी। चुंकि April 2024 में लोकसभा चुनाव है जिसमें आचार संहिता लागू होगा साथ ही 06 महीने पहले यानि इसी वर्ष 2023 से देश चुनावी मोड में आ जाएगा। ऐसे में 15 सुत्री समिति की बात कहां रह जायेगी।
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