द फॉलोअप डेस्कः
आजकल हर चीज़ स्मार्ट होती जा रही है। पहले केवल कॉल करने के लिए उपयोग में आने वाला फोन अब बहुत ही स्मार्ट हो गया है। इसी तरह, अब घरों की खिड़कियां भी स्मार्ट बनेंगी। ये खिड़कियां खुद अपना रंग बदल सकेंगी और खुद को चार्ज भी कर सकेंगी। भारतीय शोधकर्ताओं ने स्मार्ट विंडो तकनीक में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। बेंगलुरु में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन स्वायत्त संस्थान सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे स्मार्ट विंडो बिना बाहरी ऊर्जा स्रोत के अपना रंग बदल सकती है। यह आधुनिक इमारतों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित होगा।
ये स्मार्ट विंडो न केवल ऊर्जा का संग्रहण करेंगी, बल्कि रंग बदलकर अपनी सुंदरता भी बढ़ाएंगी। डॉ. आशुतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने एनर्जी स्टोरेज मैटेरियल्स जर्नल में प्रकाशित एक शोध में बताया कि उन्होंने स्मार्ट विंडो में जिंक-आयन बैटरी अवधारणा को एकीकृत करने के लिए टंगस्टन ऑक्साइड (डब्ल्यूओ3) को प्राथमिक सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया। इस शोध का मुख्य उद्देश्य स्मार्ट विंडो के प्रदर्शन को बेहतर बनाना और उसमें नई कार्यक्षमताएं जोड़ना था। पहले, ऊर्जा संग्रहण और रिचार्ज की क्षमता वाली खिड़कियों में बिजली की आवश्यकता जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं, लेकिन अब इस तकनीक से ये समस्याएं हल हो चुकी हैं।
अध्ययन में इथेनाल के साथ टंगस्टन ऑक्साइड की स्प्रे कोटिंग का सफल उपयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर एकरूपता और फिल्म की गुणवत्ता प्राप्त हुई। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह मारांगोनी फ्लो इफैक्ट के कारण होता है, जिसके कारण एक तरल पदार्थ कम पृष्ठ तनाव वाले क्षेत्र से उच्च पृष्ठ तनाव की ओर बहता है। यह शोध स्मार्ट विंडो प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जो ऊर्जा-कुशल और टिकाऊ इलेक्ट्रानिक समाधान बनाने के लिए डब्ल्यूओ3-आधारित सामग्रियों की क्षमता पर जोर देता है।