logo

रांची में 19 मई को वामदलों का संयुक्त कन्वेंशन, तैयारी पूरी

waamdal.jpg

द फॉलोअप डेस्क   

राजधानी रांची के पुराने विधानसभा भवन में 19 मई को वामदलों का राज्य स्तरीय संयुक्त कन्वेंशन होना है। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई। जिसमें भाकपा, माकपा, भाकपा (माले), मासस, आरएसपी, फारवर्ड ब्लाक और एसयुसीआइ(सी) समेत सात वामदल शामिल होंगे। कन्वेंशन में राज्य के सभी जिलों से वामदलों के 350 से ज्यादा प्रमुख नेतृत्वकारी हिस्सा लेंगे। कन्वेंशन को लेकर रांची स्थित सीपीआई कार्यालय में राजेंद्र यादव की अध्यक्षता में बुधवार को बैठक की गई। इस दौरान कन्वेंशन में प्रस्तुत किए जाने वाले संयुक्त आधार- पत्र, राजनीतिक प्रस्ताव और आंदोलनों के भावी कार्यक्रम कर उसे अंतिम स्वरुप देने को लेकर चर्चा की गई।   

आम नागरिकों के बीच नफरत और घृणा का बनाया जा रहा है माहौल

बैठक के बाद आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता को सीपीआई(एम) के प्रकाश विप्लव, सीपीआई के महेंद्र पाठक, भाकपा माले के जनार्दन प्रसाद ने संबोधित किया। प्रेसवार्ता में वामदलों के नेताओं ने कहा कि भाजपा एक ओर देश की राष्ट्रीय संपदा की लूट कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ भारत का संविधान, देश के फेडरल ढांचे व जनतंत्र समेत आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों कमजोर किया जा रहा है। इसके साथ ही सुनियोजित तरीके से सांप्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए आम नागरिकों के बीच नफरत और घृणा का माहौल बनाया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड भी इनके मुख्य निशाने पर है। उन्होंने बताया कि अभी इनका तय एजेंडा यह है कि आदिवासियों को ईसाई और गैर इसाई में विभाजित किया जाए। मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत की मुहिम तेज की जाए ताकि उन्माद और उत्पात की सांप्रदायिक राजनीति के माध्यम से धुव्रीकरण को बढ़ाया जाए। इसके बवाजूद हेमंत सरकार इनसे सख्ती से निपटने में राजनीतिक रुप से सफल नहीं हो पा रही हैं। जबकि, भाजपा आक्रमक तरीके से हेमंत सरकार पर हमला जारी रखे हुए है। उन्होंने बताया कि इस पृष्ठभूमि में वामदलों ने अपनी एकता को और मजबूत करेगी। इसके साथ ही अन्य सेक्युलर, लोकतांत्रिक राजनीतिक शक्तियों  और सामाजिक संगठनों को एकजुट किए जाने के लिए पहल करने का निर्णय लिया है।  

झारखंड के वर्गीय, ज्वलंत जन मुद्दों पर संयुक्त आंदोलन

इस दौरान नेताओं ने बताया कि राज्य में विस्थापन, पलायन, जमीन के मुद्दे, 5 वीं अनुसूची के अंर्तगत ग्राम सभाओं के अधिकार, पेसा, काश्तकारी कानूनों की रक्षा, वन संरक्षण कानूनों में परिवर्तन, मनरेगा, मजदूरों का न्यूनतम वेतन, एचईसी और कोयला व इस्पात उद्योगों समेत झारखंड के सार्वजनिक उद्योगों की हिफाजत, राज्य के स्थानीय युवाओं का नियोजन, राज्य में जमीन के रिकार्ड का डिजिटलीकरण के बाद किसानों और रैयतों के भूमि रिकॉर्ड में भारी अनियमितता, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा पर्यावरण, बढता भष्टाचारनौकरशाही और हाथियों के मुक्त विचरण की बाधा के कारण राज्य के आधा दर्जन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जान माल की भारी क्षति जैसे मुद्दों को चिन्हित किया जाएगा। साथ ही इस दिशा में आगे बढने के लिए एक साझा मांग-पत्र के आधार पर मजदूरों और किसानों के संयुक्त संघर्षों पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न वर्गीय जनसंगठनों जैसे ट्रेड यूनियंस और किसान सभाएं तथा अन्य जनसंगठनों जिसमें युवा, छात्र, महिला और दूसरे प्रगतिशील संगठनों को लेकर एक साझा मोर्चा का निर्माण किए जाने का भी फैसला लिया गया है।

प्रगतिशील-जनवादी बुद्धिजीवियों को भी किया जाएगा शामिल

उन्होंने कहा कि यह झारखंड में आंदोलनों की आंच में तपकर वाम-जनवादी मोर्चा के रुप में एक जनपक्षीय राजनीतिक विकल्प की दिशा में बढेगा। लेकिन, इसके केंद्र में मुख्य रूप से वामपक्ष की पार्टियां उनके वर्गीय व अन्य जनसंगठन होंगें। इसके अलावा अन्य वामपंथी समूह और बुद्धिजीवी, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में बिखरे समाजवादी तथा सेक्युलर पूंजीवादी पार्टियों के लोकतांत्रिक हिस्से, आदिवासियों, दलितों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों और प्रगतिशील-जनवादी बुद्धिजीवियों को भी शामिल किया जाएगा। बैठक में सीपीआई के अजय सिंह, प्रमोद कुमार पांडेय, बी. एन ओहदार, भाकपा माले के शुभेदु सेन,भुवनेश्वर केवट, माकपा के विरेन्द्र कुमार, मासस के सुशांत मुखर्जी ने हिस्सा लिया।  

हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://chat.whatsapp.com/EUEWO6nPYbgCd9cmfjHjxT