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झारखंड शराब नीति का सलाहकार ही निकला छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का किंगपिंग

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द फॉलोअप डेस्कः 
छत्तीसगढ़ में हुए 2000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले मामले में शुक्रवार ईडी ने आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी को कोर्ट में पेश किया। ईडी ने एपी त्रिपाठी के लिए 14 दिन की रिमांड मांगी थी। लेकिन 7 दिनों रिमांड मिली है। छत्तीसगंढ शराब घोटाला का कनेक्शन झारखंड से भी है। प्रभात खबर अखबार में छपी खबर के मुताबिक ईडी की जांच में पता चला है कि झारखंड में नयी शराब नीति का सलाहकार अरुण पति त्रिपाठी ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का सरगना है। वह केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की अनुमति के बिना ही झारखंड में सलाहकार बन गया। अपनी पत्नी के नाम पर आइटी कंपनी बना कर 'प्रिज्म' नामक कंपनी को बेच दी। साल 2021 में यह कंपनी बनाई गई थी। कंपनी भले ही त्रिपाठी की पत्नी के नाम पर है लेकिन इसका पूरा नियंत्रण त्रिपाठी के पास है। बाद में इसी कंपनी को छत्तीसगढ़ में होलोग्राम छापने का काम दिलाया। जिसके लिए उसे 90 लाख मिले। प्रिज्म होलोग्राम के विधु गुप्ता ने स्वीकार किया है कि होलोग्राम का काम दिलाने के लिए अरुण पति त्रिपाठी को 90 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। साथ ही प्रति होलोग्राम आठ पैसे की दर से कमीशन भी दिया गया। सरकार के समानांतर शराब बिक्री के नेटवर्क (अन अकाउंटेड सेल) का पूरा नियंत्रण उसी के पास था। इस नेटवर्क से उसने बतौर कमीशन अपने लिए 20 करोड़ रुपये वसूले हैं। 


इस तरह से किया जाता था घोटाला
ईडी को जांच में पता चला है कि देशी शराब की कीमत 560 रुपये प्रति पेटी थी। लेकिन इस पर 2880 मूल्य लिखा जाता था। ऐसे में एक पेटी पर शराब सिंडिकेट को 2320 रुपये अवैध कमाते थे। नकली होलोग्राम लगा कर हर माह 200 ट्रक देसी शराब की बिक्री की गयी। बाद में यह 400 ट्रक हर माह होने लगी। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ। छत्तीसगढ़ में शराब से कमीशन वसूलनेवाले इस गिरोह ने असली होलोग्राम लगा कर बेची जानेवाली शराब (अकाउंटेड सेल) पर भी कमीशन तय किया था। शराब बनानेवाली कंपनियों से वैध शराब पर 75 रुपये प्रति पेटी कमीशन लिया जाता था। इडी को पता चला कि त्रिपाठी दूरसंचार विभाग का अधिकारी है। उसने झारखंड में शराब के कारोबार में सलाहकार बनने से पहले पहले सरकार से अनुमति नहीं ली है। साथ ही यह भी पता चला है कि त्रिपाठी ने ही सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल करते हुए शराब का व्यापार की समानांतर व्यवस्था कायम किया था। उसी ने राज्य के 15 जिलों में मैन पावर सप्लाई का काम मेसर्स सुमित फैसिलिटीज को दिलाया था। इन्हीं जिलों में सरकार के समानांतर शराब की बिक्री की गयी थी। नकली होलोग्राम लगे शराब को ऊंची कीमत पर बेच कर करोड़ों रुपये की कमाई की। 

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