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झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक-2023 सदन से पारित, सीएम बोले-बहुत सोच समझकर लाया गया है

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द फॉलोअप डेस्क, रांची 
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक-2023 सदन से पारित हो गया है। बता दें की सजा के बिंदुओं में बदलाव के साथ इस विधेयक को पारित किया गया है। अब 3 साल की जगह एक साल और 7 साल की जगह 3 साल की सजा का प्रावधान होगा। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सुझाव देते हुए यह मांग की थी, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानते हुए सदन से इसे पारित करने का आग्रह किया था। हालांकि इस विधेयक का विपक्ष ने विरोध किया था। विधेयक पारित होने के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा बिल को फाड़ते हुए सदन से वॉकआउट कर गए थे। 

 


हड़बड़ी में नहीं लाया गया है विधेयक
सदन में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विधेयक पर सदन की भावना से असहमत नहीं हूं और समझता भी हूं। विधेयक को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। सरकार यही चाहती है कि डर और भय संस्थाओं में हो, छात्रों में हो जो ऐसी हरकत करते हैं। किसी एक की वजह से लाखों क्यों परेशान हों। यह विधेयक सिर्फ हम लेकर नहीं आये हैं बल्कि दूसरे राज्यों में भी यह विधेयक है। इस  हड़बड़ी में नहीं बल्कि सोच विचार कर लाया गया है। 


विपक्ष ने किया विरोध 
विधायक विनोद सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में यह स्पष्ट करना चाहिए कि कैसे किसी को चिह्नित करें। इसमें संगठित आपराधिक गिरोह अपराध करते हैं, छात्र तो शिकार होते हैं। इसे स्पष्ट किया जाना जरूरी है। छात्र परीक्षा केंद्र पर जाता है थोड़ा विलंब होने पर वाद-विवाद तो होता ही है। ऐसे में उस छात्र के भविष्य को देखते हुए इसमें संसोधन जरूरी है। विधायक अनंत ओझा ने इस विधेयक को काला कानून बताया। उन्होंने भी इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। विधायक लंबोदर महतो ने भी इस पर सुधार की मांग की। विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि यह हड़बड़ी में लाया हुआ विधेयक है। यह काला कानून लागू हुआ, तो इसके खिलाफ लाखों छात्र-छात्राएं सड़क पर उतरेंगे। विधायक अमित कुमार मंडल ने इस विधेयक की तुलना ईस्ट इंडिया की रोलेट एक्ट से किया और प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

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