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मानसून सत्र : सजा के बिंदुओं में बदलाव के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 पारित, भाजपा विधायकों ने फाड़ी बिल की प्रति

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द फॉलोअप डेस्कः

सजा के बिंदुओं में बदलाव के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 सदन से पारित हुआ. अब 3 साल की जगह एक साल और 7 साल की जगह 3 साल की सजा का प्रावधान होगा. प्रदीप यादव ने सुझाव देते हुए यह मांग की थी, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानते हुए सदन से इसे पारित करने का आग्रह किया था. इसे विधेयक पर विधायकों का कुल 6 संशोधन प्रस्ताव आया था. विधायक विनोद सिंह, अनंत ओझा, लंबोदर महतो, अमर बाउरी, नवीन जायसवाल और अमित मंडल ने संशोधन प्रस्ताव लाये थे. इन विधायकों की मांग थी कि इसे प्रवर समिति में भेज दिया जाय. विधेयक पर संशोधन की मांग पर सीएम हेमंत सोरेन के बोलने के दौरान भाजपा विधायक वेल में हंगामा करने लगे. एक तरफ मुख्यमंत्री इस विधेयक की सार्थकता बता रहे थे, दूसरी तरफ वेल में हंगामा कर रहे भाजपा विधायक इसे काला कानून बता रहे थे.

कानून से संगठित अपराधी कम, छात्र ज्यादा होंगे दंडित

माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि इस विधेयक में जो प्रावधान है. कानून बनने के बाद इससे संगठित अपराधी कम और छात्र ज्यादा दंडित होंगे. कोई छात्र अगर परीक्षा केंद्र पर अपने अधिकार की भी बात करेगा तो वह अपराधी घोषित हो जाएगा. सजा का भी प्रावधान ज्यादा है.

गड़बड़ी उजागर करने वाले छात्रों पर कार्रवाई की बात सही नहीं

भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि विधेयक में जो प्रावधान है, उसके मुताबिक गड़बड़ी उजागर करने वाले छात्र पर भी कार्रवाई हो जाएगी. बगैर जांच का मामला दर्ज हो जाएगा. जहां से प्रश्नपत्र लीक होता है, उसपर जवाबदेही तय नहीं है. ऐसे में इसे प्रवर समिति में भेजा जाए.

छात्रों के लिए ये काला कानून

आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि इस विधेयक की कोई जरूरत ही नहीं है. यह छात्रों के लिए काला कानून है. नौकरी की चाहत रखने वाले छात्र अधिकारियों के षड्यंत्र में फंस जाएगा. कोई गलत का विरोध करेगा तो उसका जीवन जेल में बीत जाएगा. यह सही नहीं है. जबकि इसके प्रावधान पदाधिकारियों को संरक्षित करेगा. इसे प्रवर समिति में भेजा जाय.

कानून से छात्रों में डर का माहौल

अमर बाउरी ने इसे प्रवर समिति में भेजने की आग्रह करते हुए कहा कि इससे छात्रों में डर का माहौल पैदा होगा. विधेयक के कानून बनते ही जेपीएससी और जेएसएससी जैसी संस्थाओं की गड़बड़ियों को उजागर नहीं किया जा सकेगा. युवाओं की भविष्य के लिए यह ठीक नहीं है.

हड़बड़ी में लाया गया विधेयक

नवीन जायसवाल ने कहा कि यह विधेयक हड़बड़ी में लाया गया है. यह काला कानून है. परीक्षार्थी और परीक्षक के बीच जो लड़ाई राज्य में चल रही है, उसे दबाने के उद्देश्य से इस विधेयक को लाया गया है.


अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट जैसा है यह विधेयक

भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि यह विधेयक अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट जैसा है. अगर यह कानून पहले से इस राज्य में होता तो जेपीएससी में जो गड़बड़ियां उजागर हुई, वह नहीं हो पाता. बल्कि गड़बड़ियों पर बात करने वाले लोग जेल में होते. परीक्षार्थी, छात्र, नेता और मीडिया जेल में होती. मुख्यमंत्री हेमंत ने जो डुमरी में कहा था  और जो विधेयक है. उसमें बड़ा अंतर है. यह छात्रों के लिए सही नहीं है.

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