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मैं ओडिशा की हूं, लेकिन झारखंड का खून मेरी रगों में बहता है - राष्ट्रपति

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द फॉलोअप डेस्कः

आज राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के संबोधन ने वाकई सबके दिल को छू लिया। राष्ट्रपति का झारखंड से कितना गहरा नाता है यह उन्होंने आज अपने भाषण में बताया। उन्होंने कहा कि मैं भले ओड़िशा से हूं लेकिन मेरे अंदर झारखंड का खून दौड़ता है। उन्होंने झारखंड से अपने रिश्ते के बारे में भी सबको बताया और कहा कि झारखंड की मंत्री जोबा मांझी जिस घर की बहू हैं उस घर की मेरी दादी भी हैं। आज वह  इस दुनिया में नहीं हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इसी धरती का राज्यपाल भी बनया गया और आज इसी धरती पर मेहमान बनकर आई हूं। आज के संबोधन में राष्ट्रपति ने अपने बचपन के दिन को भी याद किया और बताने लगी कि कैसे वह बचपन में महुआ चुनने जाया करती थी। उन्होंने कहा मैं जब यहां आने वाली थी उससे पहले महिला समूह की महिलाओं से मिली और उनके चेहरे देख रही थी। उनसे पूछा कि आप कितना कमा लेती हैं। उनके चेहरे पर आई मुस्कान को देखकर मैं अपने बचपन में चली गई। वह बताने लगीं कि मेरे घर से 5 किलोमीटर दूर था मेरा खेत जहां 20 महुआ के पेड़ थे। मेरी दादी मुझे रात में उठाकर ले जाया करती थी महुआ चुनने। मैं जाती थी औऱ महुआ चुनकर लाती थी, लेकिन हम महुआ का बहुत उपयोग नहीं कर पाते थे। क्योंकि हमें आता ही नहीं था। हम उसको बांध कर रख दिया करते थे। वह खराब हो जाया करता था या कभी बिक गया तो 20,25 पैसे में बिकता था लेकिन आज तो महिलाएं ना जाने महुआ से क्या क्या बना लेती हैं। कोई केक तो कोई लड्डू मैं बहुत खुश हूं कि जो चीज हमें नहीं मालूम था वो आज के दौर की महिलाओं को पता है। हम किसी तरह से अपनी जिंदगी जीते थे। लेकिन आज महिलाओं को बहुत सारी चीजें सरकार की तरफ से, टेक्नोलॉजी की तरफ से दिया जा रहा है। पहले महिलाओं के पास धान की कमाई के अलावा और कुछ भी नहीं था लेकिन आज महिलाएं केवल धान खेती के ऊपर निर्भर नहीं है। आज सरकार जो महिला समूह बना रही है उससे वह कमाना जानती हैं। आगे उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद सभी स्टेट सभी राज्य मुझे घूमने का मौका मिला। इसी तरह बहुत सारी महिला समूह को मैं मिलती हूं। मैं खुश हूं कि भले ही यह आदिवासी बहुल राज्य है झारखंड की आदिवासी महिलाएं आत्मनिर्भरता के मामले में दूसरे राज्यों की आदिवासियों से एक दो कदम आगे हैं। यह सिर्फ महिला समूह के वजह से संभव हो पाया है। लोग बेटियों को कहते हैं मेरी बिटियां रानी है, मेरी बेटी परी है, यह देवी है, दुर्गा है। लेकिन जिसे मैं अपने सामने देख रही हूं वह वाकई लक्ष्मी है, सरस्वती है। अब आपके पास अपार संभावनाएं है अब पीछे हटने का कोई संभावना नहीं। उन्होंने एक 9वीं क्लास की छात्रा को कंपयूटर चलाते देखा था । उन्होंने देखा कि वह लड़की सरकारी की सारी योजनाओं को कंपयूटर पर निकाल लेती थी। उसे देखकर वह आश्चर्य चकित रह गई थीं। उन्होंने कहा कि जब मैंने बच्ची को देखा तो तो खुद में छोटा महसूस करने लगती हूं। कमजोर महसूस करने लगती हूं कि ये लोग इतने कम संसाधनों के मिलने के बाद भी कितने गुणी हैं।