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विश्व ऑटिज्म दिवस : पीड़ित परिवारों को सरकार देगी आर्थिक सहायता, जल्द शुरु होगा टोल फ्री नंबर- निःशक्तता आयुक्त

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द फॉलोअप डेस्क  

ऑटिज्म एक चुनौती है। शुरुआती दौर में इसे पहचानना मुश्किल है। लेकिन, हम सब मिल कर इसे हरा सकते हैं। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। ये बातें राज्य निःशक्तता आयुक्त छवि रंजन सिंह ने बुधवार को रांची स्थित श्री कृष्ण लोक सेवा संस्थान में विश्व ऑटिज्म दिवस पर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे के माता-पिता कैसी परिस्थिति से गुजरते है। इसकी कल्पना करना बेहद मुश्किल है। लेकिन, परिवार के सहयोग से ये बच्चे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का डेटाबेस हमारे पास नहीं हैक्योंकि लोग या परिवार वाले इसे खुलकर स्वीकार नहीं कर पाते। इसके लिए हमें समाज में जागरूकता लानी होगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि जन-जन जागरूकता की बनाए ऐसी सीढ़ी, ऑटिज्म से पीड़ित ना हो आने वाली पीढ़ी के नारे के साथ हमे ऑटिज्म को हराना है। वहीं, उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। जल्द ही इसके लिए एक टोल फ्री नंबर और डे केयर की शुरुआत करने की योजना है।

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कार्यशाला का आयोजन रहा महत्वपूर्ण

इस मौके पर समेकित क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक जितेंद्र यादव ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए सम्मिलित रूप से जागरूकता पर कार्य कर रही है। पीड़ित बच्चों के सर्वांगीण विकास और इनके पुनर्वास के लिए भी कार्य कर रही है। विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2 अप्रैल को मनाया जाता है। राज्य में यह एक पूरे सप्ताह का कार्यक्रम है जिसके तहत राज्य सरकार की यह एक बहुत ही अच्छी पहल है। उसके तहत माता-पिता और बच्चों को जागरूक करने के लिए आयोजित कार्यशाला बहुत ही महत्वपूर्ण रही।

होम्योपैथ की कुछ दवाओं से हो सकता है थोड़ा सुधार

कार्यशाला में डॉ. राजीव कुमार ने ऑटिज्म के संबंध में बताया कि कोविड के बाद ऑटिज्म के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। कभी-कभी एकल परिवार, गर्भावस्था के दौरान सही से देखभाल न होना, गर्भावस्था में ज्यादा तनाव लेना भी बच्चे में ऑटिज्म होने के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अगर ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए अलग डे केयर एवं विशेष पार्क बनवाया जाए, तो बच्चों में जल्द ही सुधार आ सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि ऑटिज्म के लिए कोई विशेष दवा नहीं है लेकिन, होम्योपैथी की कुछ दवाओं से थोड़ा सुधार अवश्य आ सकता है। विशेषकर कैमल मिल्क से। डॉ. राजीव कुमार की बुक ऑटिज्म केयर विथ होम्योपैथी में इस पर विस्तार से जानकारी दी गई है।

विशेष बच्चों ने बनाया कलाकृतियां एवं क्राफ्ट

इस कार्यक्र में विशेष बच्चों द्वारा बनाए गए कलाकृतियां एवं क्राफ्ट प्रदर्शित किए गए। साथ ही उनके द्वारा योगा का भी प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर रिनपास एवं सीआईपी के डॉक्टर, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के पदाधिकारी, राज्य निःशक्तता आयुक्त कार्यालय के पदाधिकारी, ऑटिज्म के क्षेत्र में कार्य कर रहे एनजीओ के पदाधिकारी, समाज कल्याण पदाधिकारी एवं विभिन्न जिलों से आईं एएनएम, साहिया, सेविकाएं शामिल थीं।

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