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15 जून को भारत बंद का पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने किया ऐलान, सरना धर्म कोर्ड सहित अन्य कई मांगें

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द फॉलोअप डेस्कः
आदिवासी समाज के वो लोग जो सरना धर्म को मानते हैं वह शुरू से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं। इन दिनों फिर से सरना धर्म कोड की मांग तेज हो गई है। अब आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने सरना धर्म कोर्ड सहित कई मांगों  को लेकर आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा है कि जैन धर्म को मानने वालों की संख्या आदिवासियों की संख्या से कम है इसके बाद भी सरना धर्म कोर्ड को मान्यता नहीं दी जा रही है। जबकि जैन समुदाय वालों को उनका कोड मिल चुका है। इसलिए सरना धर्म कोड और आदिवासियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मांगों को लेकर 15 जून को भारत बंद किया जाएगा। सरना समिति के सदस्यों और आदिवासी समाज के साथ बैठक करने के बाद पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि भारत बंद के बाद 30 जून 2023 विश्व सरना धर्म जनसभा का आयोजन कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में किया जाएगा, जिसमें पांच लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। 


इन मांगों को भी रखेंगे सरकार के पास 
साल्खन मुर्मू ने बताया कि 15 जून को भारत बंद के माध्यम से वह भारत सरकार से मांग करेंगे कि गिरिडीह के पारसनाथ में मरांग बुरु पहाड़ आदिवासियों के ईश्वर है लेकिन झारखंड सरकार ने भारत सरकार को लिखित तौर पर यह कह दिया कि वह पहाड़ जैन धर्म का है, जो की आदिवासी समाज को अस्वीकार्य है। वहीं आदिवासियों के संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देने की मांग है। सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज आगे बढ़े इसलिए जरूरी है कि संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कुड़मी महतो को आदिवासी बनाने की बात कही जा रही है। जिसका समर्थन कई आदिवासी नेता और राजनीतिक पार्टिया कर रही है, लेकिन आदिवासी सेंगल अभियान इसका घोर विरोध करता है। अगर कुड़मी आदिवासी बन जाएंगे तो जो फिर मूल आदिवासी हैं उन्हें काफी नुकसान होगा। 

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