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अवैध खनन मामले में ED के हाथ लगी डायरी और व्हाट्सऐप चैट में छिपे हैं करोड़ों के ये राज 

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रांची 
साहेबगंज में हुए अवैध खनन मामले की जांच कर रही ED के हाथ एक डायरी लगी है और कुछ व्हाट्सऐप चैट मिले हैं। ED के अनुसार अनुसार डायरी और चैट से करोड़ों के हेरफेर और मनी लांड्रिग का खुलासा होता है। फिलहाह ED की टीम पूरे मामले की छानबीन कर रही है। साथ ही ED ने इन दोनों चीजों पर एक डिटेल रपट तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिया है। और इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की वकालत की है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन के पूर्व प्रधान सचिव अरुण एक्का के साथ नेताओं व झाखंड के ब्यूरोक्रेट्स को फंडिंग करने वाले निवेशक विशाल चौधरी पर शिकंजा कस सकता है। बता दें कि ED के हाथ जो डायरी लगी है वो विशाल चौधरी की ही है। इस डायरी से जानकारी मिलती है कि राजीव अरुण एक्का और विशाल चौधरी ने मिलकर साहेबगंज में हुए अवैध खनन मामले में करोड़ों का खेल किया है। 

व्हाट्सऐप चैट में क्या है 
ED के हाथ जो व्हाट्सऐप चैट लगा है वो विशाल चौधरी और उनकी पत्नी के बीच हुई बातचीत का है। इस व्हाट्सऐप चैट से ED को जानाकारी मिली है कि अपने कार्यकाल के दौरान राजीव अरुण एक्का ने आईएएस मनोज कुमार को जैप के आइटी विभाग में सीईओ पोस्ट पर बहाली कराने के नाम पर 50 लाख रुपये लिये थे। इतना ही नहीं एक्का ने आईएएस कामेश्वर सिंह की पोस्टिंग आदिवासी कल्याण आयुक्त के रूप में करने के लिए एक करोड़ रुपये लिये। एक्का तक ये रुपये विशाल चौधरी के जरिये पहुंचते थे।  वहीं, झारखंड सरकार को भेजे गये व्हाट्सऐप चैट से पता चलता है कि विशाल चौधरी अपनी अवैध कमाई को बेटी औऱ पत्नी के वेतन के नाम पर शो करता था। ED ने झारखंड सरकार को भेजी रपट में बताया है कि राजीव अरुण एक्का की ब्लैक मनी को मार्केट में निवेश करने में विशाल चौधरी और उनके जीजा निशिथ केसरी भी मदद करते थे। रपट में चौंकाने वाली बात ये है कि एफजीएस कंस्ट्रक्शन कंपनी विशाल चौधरी की कंपनी है और इसके निदेशक निशिथ केसरी हैं। और कंपनी से हुए लाभ की रकम को अरुण एक्का के परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में जमा किया गया है। दूसरी ओर एनकेपीसीएल डेवलपर निशिथ केसरी की कंपनी है। इस कंपनी में विशाल चौधरी की 60% की हिस्सेदारी है। खबर यह भी है कि विशाल चौधरी ने ब्लैक मनी से पुनदाग में 58 डिस्मिल जमीन खऱीदी। विशाल चौधरी ने अलग-अलग तरीके से निशिथ केसरी को लगभग डेढ़ करोड़ दिये। कुछ दिन बाद निशिथ ने इस राशि को विशाल चौधरी के खाते में जमा कर दिया। 

ऐसे होता था कोड का इस्तेमाल 

एक्का और चौधरी के बीच का खेल यहीं पर नहीं खत्म हो जाता है। बताते हैं कि राजीव अरुण एक्का ने ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए विशाल चौधरी की मदद ली। एक्का ने पहले चौधरी के साथ मिलकर अनाप-शनाप कीमत पर बाजार से कुछ चीजों की खरीदारी की। बढ़ी हुई कीमत और असल कीमत के बीच जो अंतर आया, उसका आधा हिस्सा उन्होंने बतौर कमीशन चौधरी से लिया।  ED की रपट के अनुसार करोडों का ये सारा लेनदेन कोड के जरिये होता था। विशाल चौधरी के पास से जो डायरी मिली है उसमें उनकी पत्नी श्वेता सिंह चौधरी को एसएससी लिखा गया है। राजीव अरुपण एक्का के लिए आरएई और कहीं-कहीं आरएस भी लिखा गया है। इसी तरह डायरी में करोड़ के लिए फोल्डर और एक लाख रुपये के लिए फाइल शब्द का इस्तेमाल किया गया है। 

 

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