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जून के पहले सप्ताह में निगम और बोर्ड का हो सकता है गठन, 22 में कांग्रेस का 10 पर दावा

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड में हेमंत सरकार के साढ़े तीन साल पूरे हो जाने के बाबजूद अब तक निगम और बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है। सभी सत्ताधारी दल के नेताओं की निगाहें इस पर टिकी है। कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान मिले इसको लेकर हर नेता पक्षधर है, लेकिन सारा मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर टिका है। कांग्रेस के अंदर इसको लेकर नाराजगी भी देखने को मिल रही है। प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अनुसार इसका हल जून के पहले सप्ताह में हो सकता है। ठाकुर ने कहा कि जल्द ही इसको लेकर अधिसूचना जारी होगी। पार्टी ने अपनी ओर से हर क्षेत्र और समुदाय को ध्यान में रखा है।  

अपने अपने कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करना चुनौती
निगम और बोर्ड पर काबिज होने की हसरत पाले सत्ताधारी दल के नेता और कार्यकर्ताओं का धैर्य अब अंदर से जवाब दे रहा है। हाल में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता ने इसको लेकर दिल्ली दरबार में अपने प्रभारी से मुलाकात कर अपनी चाहत से अवगत कराया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने 22 बोर्ड और निगम में से 10 पर अपना दावा ठोका है। कई नेताओं का कहना है कि इसमें सरकार ने काफी देरी कर दी। सरकार गठन के साथ ही बोर्ड और निगम का बंटवारा हो जाना चाहिए था।


एक अनार सौ बीमार
ऐसा नहीं है कि बोर्ड और निगम के गठन के साथ पार्टी के अंदर चल रही नाराजगी खत्म हो जायेगी। हो सकता है कि धीमी सुनाई देने वाले और तेज हो जाये, क्योंकि निगम और बोर्ड मिला कर 22 है, जिसमें कांग्रेस के जिम्मे 8 आ सकता है। इस बोर्ड और निगम में अध्यक्ष और मेंबर को मिल भी ले तो संख्या काफी कम होगी। ऐसे में अनेक दावेदार को कैसे शांत किया जा सकता है। सबकी अपनी इच्छाएं हैं और लोग इसे व्यक्त भी कर रहें हैं। 


प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और आलमगीर आलम पर आरोप
भलें हीं निगम और बोर्ड का गठन नहीं हुआ है, लेकिन ये कहा जा रहा है कि उन कार्यकर्ताओं को पार्टी ने जगह दी है जो प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता के ज्यादा करीब हैं। तीन से चार दशक से पार्टी का काम करने वाले कई लोगों को इसमें कोई स्थान नहीं मिला है। इस मसले पर द फॉलोअप से बात करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि जबतक नाम सामने नहीं आता कि किसे जगह मिली है इस तरह के आरोप का जवाब देना सही नहीं होगा।

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प्राथमिकता के अनुरूप हो रहा है काम
जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टचार्य ने कहा कि थोड़ा विलंब जरूर हुआ है। सरकार की प्राथमिकता बोर्ड और निगम नहीं है। जो प्राथमिकता है, उसके अनुरूप काम हो रहा है। कार्यकर्ता की भावना और महत्वाकांक्षा होती है, उन्हें उचित सम्मान मिले, उसमें थोड़ा विलंब हुआ है, पर सब कोई जानते हैं इसके कई कारण हैं।