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MGM में चिकित्सक के साथ मारपीट: शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे झारखंड के सरकारी व गैर सरकारी डॉक्टर 

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जमशेदपुर
एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर के आईसीयू में घुसकर डॉ कमलेश उरांव से तीन दिन पहले मारपीट की गयी। लेकिन दोषियों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह राज्यभर के चिकित्सकों के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है। पिटाई के विरोध में कल यानी शुक्रवार सुबह छह बजे से सूबे के सभी चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। आईएमए झारखंड के बैनर तले होने वाली इस हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल में शामिल नहीं किया गया है। 
बता दें कि एमजीएम अस्पताल के शिशु विभाग के आईसीयू में घुसकर कुछ असमाजिक तत्वों ने डॉ कमलेश उरांव के साथ मारपीट की थी। इसमें उनका सर फट गया है और उनकी पसलियों में फ्रैक्चर आ गया है। उनको सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वे घटना के तीन दिन बीत चुके हैं। लेकिन दोषियों पर पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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चिकित्सकों को मिल रही है धमकी

उल्टे चिकित्सकों को डराया धमकाया जा रहा है। इससे चिकित्सकों में रोष है। सभी चिकित्सक का कहना है कि प्रशासन के पास मारपीट का वीडियो फुटेज है। इसके बावजूद दोषी व्यक्तियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। यह प्रशासन की विफलता है। इसके विरोध में बुधवार को मेडिकल कॉलेज में एक मीटिंग हुई। इसमें मेडिकल कॉलेज के छात्र संगठन के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं झासा के सदस्यों ने भाग लिया। मीटिंग में निर्णय लिया गया कि मेडिकल कॉलेज एवं जमशेदपुर शहर के सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल हड़ताल पर जायेंगे। आईएमए एवं झासा,  झारखंड के अध्यक्ष और सचिव ने घोषणा की है कि अगर अगले 24 घंटे में दोषी व्यक्तियों की गिरफ्तारी नहीं होती है, तो दिनांक 22 सितंबर से राज्य के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। 

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मेडिकल प्रोटेक्शन बिल लागू करने की मांग 
चिकित्सकों ने कहा कि राज्य के सभी प्राइवेट एवं सरकारी चिकित्सक एकजुट हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं झासा की राज्य इकाई और रिम्स के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने संयुक्त प्रेस रिलीज जारी किया है। इसमें मांग की गयी है कि सभी दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी, सभी मेडिकल कॉलेज में प्रतिनियुक्ति प्रशासनिक अधिकारी को हटाया जाए और पहले की तरह मेडिकल कॉलेज की देखरेख का अधिकार डायरेक्टर, अधीक्षक एवं डीन के हवाले किया जाये और मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाये।