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‘हमारा जीवन हमारी यादें’ पुस्तक में पढ़ सकेंगे आशा लकड़ा के जीवन के संघर्षों की कहानी

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द फॉलोअप डेस्क

डॉ. रामानंद द्वारा संपादित ‘हमारा जीवन हमारी यादें’ पुस्तक का विमोचन मंगलवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय श्रम मंत्री सह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने राजकमल प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में संघर्षों की आग में तपकर आए सामाजिक नायकों के आत्म- वृतांत को संकलित किया गया है। इस पुस्तक में चकमक पत्थर से निकला प्रकाश-कलीराम की जगबीती, मेरी आवाज-धनराज की आपबीती, पथरीली रहें और सागवान के फूल-आशा लकड़ा का आत्म-वृतांत, ऐसे होते हैं नायक-अनिकेत की स्मृति को समर्पित-इन चार पात्रों को शामिल किया गया है।

आशा लकड़ा के नेतृत्व में देखने को मिला संघर्ष- सुनील आंबेकर 

इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि आत्म वृतांत में भाजपा की राष्ट्रीय मेरा सौभाग्य है कि इस पुस्तक में शामिल किए गए चार पात्रों के जीवन संघर्ष को मैने स्वयं देखा है। उनसे प्रेरित होने का अवसर मिला है। डॉ. आशा लकड़ा दो बार रांची की मेयर रही। संगठन में सक्रिय रहीं। उनके नेतृत्व में संघर्ष देखने को मिला। वह जिस समाज से आती हैं, उसे लेकर आगे बढ़ीं। उनके मन में अपने समाज के प्रति भावना जागृत होती गई और आशा लकड़ा उसे मजबूत करती गईं। आशा नाम को उन्होंने सार्थक किया है। मुझे आशा है कि वह इसी भाव से कार्य करती रहें।

हर एक व्यक्ति की अपनी-अपनी होती है कहानी- भूपेंद्र यादव

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि हर एक व्यक्ति की अपनी-अपनी कहानी होती है। हर एक कहानी का अपना मोरल होता है। इस पुस्तक में चार पात्रों का चयन किया गया है, जो देश के अलग-अलग राज्य व गांव से हैं। जब हम किसी की कहानी कहते हैं तो सिर्फ घटनाएं सामने नहीं आती, उन घटनाओं के साथ आसपास का वातावरण भी शामिल होता है। बता दें कि हमारा जीवन हमारी यादें पुस्तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे चार सामान्य पृष्ठभूमि व समाज के सीमांत सामाजिक समूहों के चार व्यक्तित्वों आशा लकड़ा, स्वर्गीय अनिकेत, कलीराम, धनराज के विषम परिस्थितियों तथा निरंतर संघर्ष में तपकर आगे बढ़ने की गाथा को बेहद रचनात्मक तथा सरल ढंग से प्रस्तुत करती है। मौके पर राजकमल प्रकाशन के अलिंद माहेश्वरी व दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर अभिषेक टंडन उपस्थित थे।

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