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झारखंड के हर गांव में होगा अखड़ा का निर्माण, कैबिनेट में पास करेंगे बजट- करम पर्व पर बोले रामेश्वर उरांव

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रांची 

झारखंड के वित मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित करम पर्व में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि राज्य के हर गांव में अखड़ा का निर्माण किया जायेगा। आदिवासी-मूलवासी की मातृभाषा की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा कि पढ़े-लिखे परिवार विशेष कर शहरी क्षेत्र में अपने घर-परिवार में मातृभाषा में बात करें। कहा कि मातृभाषा हमारी संस्कृति की धरोहर है। इसको बचाने के लिए हर गांव में अखड़ा का निर्माण होगा। इसके लिए अगले कैबिनेट बजट का प्रावधान होगा। कार्यक्रम की शुरुआत अखड़ा में पाहान के नेतृत्व में करम डाली लगाकर की गयी। करम डाली की पारंपारिक पूजा पाहान डॉ जुरन सिंह मानकी एवं प्रो महेश भगत ने की। अतिथियों का स्वागत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा सुर-संगीत के माध्यम से किया गया। इसके पश्चात आगंतुक अतिथियों का स्वागत परंपरागत अंगवस्त्र एवं पुस्तक भेंट कर किया गया। स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के समन्वयक एवं खोरठा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने दिया। करम डाली की पूजा के उपरांत करमा-धरमा के लोककथा का कथावाचन शरण उरांव ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित प्रसिद्ध लोकगायक पद्मश्री मधु मंसुरी ने सुर-संगीत के माध्यम से झारखंड में विलुप्त होते अखड़ा को पुनः जगाने के लिए प्रेरित किया। वरिष्ठ साहित्यकार महादेव टोप्पो ने लोगों को प्राकृतिक धरोहर जो कि संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, उसको साहित्यिक रूप देने की बात कही। 

प्रकृति एवं पर्यावरण को संरक्षित करने की जरूरत

मौके पर अध्यक्ष के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि पर्व-त्योहार के माध्यम से प्रकृति एवं पर्यावरण को संरक्षित करने की जरूरत है। झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो त्रिवेणी नाथ साहू ने झारखंडी नृत्य-संगीत कला को बचाये रखने की बात पर जोर दिया। इस करम महोत्सव के अवसर पर कुड़माली के सहायक प्राध्यापक डॉ निताई चंद्र के द्वारा लिखित साहित्य सिद्धांत की पुस्तक ‘साहितेक बिधान’ एवं नागपुरी के सहायक प्राध्यापक डॉ मनोज कच्छप की पुस्तक ‘झारखंड के स्वर कोकिला: जानकी देवी’ नामक पुस्तक का लोकार्पण डॉ रामेश्वर उरांव वित्त मंत्री झारखंड सरकार, पदमश्री मधु मंसुरी एवं कुलपति, कुलसचिव तथा अन्य अतिथियों के हाथों किया गया।

मौके पर ये लोग थे मौजूद 

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ नमिता सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशिष गुप्ता, हिंदी विभाग के डॉ जिंदर सिंह मुंडा, मानवशास्त्र विभाग के प्राध्यापक एवं विलुप्त भाषा के कोर्डिनेटर डॉ अभय सागर मिंज, भूगोल विभाग की डॉ नलिनी कांत महतो, सीए आइटी के प्रोफेसर डॉ साहा सर, जनजातीय एवं कल्याण शोध संस्थान के पूर्व निदेशक सोमा सिंह मुंडा, डोरंडा कॉलेज के कुड़ुख़ भाषा के प्रोफेसर डॉ नारायण उरांव, विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ निताई चंद्र महतो,  डॉ मनोज कच्छप, डॉ अजय कुमार, डॉ सीता कुमारी, डॉ मालती बागिशा लकड़ा, डॉ युगेश कुमार महतो, प्रो सुनिता केरकेटटा, प्रो सुशिला कुमारी, प्रो संतोष मुर्मू के साथ विश्वविद्यालय के हजारों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।