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पुस्तक-चर्चा : आम लोगों के चरित्रों से निर्मित होता है नीरज नीर का कथा संसार: पंकज मित्र

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रांची:

कहानी से दुनिया बनती है। जन्म के साथ ही कहानी शुरू हो जाती है। पंचतंत्र से पहले के पौराणिक साहित्य में भी कहानियां हैं। महाभारत, रामायण में भी काव्य रूप में कहानियां उपस्थित हैं। आज भी लेखक परंपरा निभा रहा है।नीरज नीर का कथा संसार आम लोगों के चरित्रों से निर्मित होता है। यह बातें बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ कथाकार पंकज मित्र ने आज रांची में कहीं। वह नीरज नीर के पहले कथा संग्रह- ढुकनी एवं अन्य कहानियां-पर हुई परिचर्चा में बोल रहे थे। आयोजन स्टेशन रोड स्थित प्रभात प्रकाशन में किया गया था।  

पंकज मित्र ने कहा,  नीरज का यह पहला संग्रह है। इनकी ख़ासियत है, सरल भाषा। आसपास के चरित्र। खास मक़सद से उठाए और चित्रित किये पात्र यहां नहीं हैं। साधारण में असाधारणता है। नीरज इसमें सफल हैं। संग्रह में कहानियां -दलित, दमित, निम्न और निम्न मध्य वर्गीय समाज की हैं। स्त्री चरित्र की प्रधानता है। इनका चित्रण बेहद संवेदनशीलता के साथ लेखक ने किया है। स्त्री संघर्ष की मुद्रा में दिखलाई पड़ती है।

 

 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि नीरज की कहानियां सहज होकर बड़े फलक का निर्माण करती हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है, इसकी पठनीयता। बेहद सामान्य से दिखने वाले किरदार नीरज की कहानी में आकर समाज को बड़ा संदेश दे जाते हैं।

रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ पीके झा को संग्रह की पहली कहानी कोयला चोर पढ़कर डीएच लॉरेंस की कोयला खदान के जीवन पर अंग्रेज़ी में लिखी कहानियों का स्मरण हो गया। उन्हें कवि लीलाधर मंडलोई के संस्मरण भी याद आए, मंडलोई के पिता भी खदान में काम करते थे। पीके झा ने कहा कि नीरज की कहानी में भी मनुष्य की यंत्रणा है।
इस कहानी के बहाने कई तरह की सरकारी चोरी की ओर भी लेखक संकेत करता है।
 

मयंक मुरारी के संचालन में हुई इस संगोष्ठी में अनिता रश्मि, बीना श्रीवास्तव, रश्मि शर्मा, नन्दा पांडेय, रीता गुप्ता,  प्रवीण परिमल, डॉ केके बोस,  डॉ अभिषेक, संजय कृष्ण, पंकज पुष्कर,  प्रणव प्रियदर्शी और संतोष शर्मा समेत कई प्रमुख लोग मौजूद थे।