रविवार को राजधानी के हातमा में संताल सांस्कृतिक सोसाइटी की बैठक संस्था के उपाध्यक्ष सुखदेव टुडू की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में मौजूदा परिस्थिति में इस सोसाइटी के क्रिया कलाप , सोसाइटी की भूमि एवं अध्यक्ष और सचिव की भूमिका के सम्बन्ध पर चर्चा की गयी। उप
झारखंड हाइकोर्ट ने संताल में बंगलादेशी घुसपैठियों के प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
साहिबगंज के नींबू पहाड़ में करोड़ों के खनन घोटाले की जांच करने पहुंची सीबीआई की टीम ने बड़ा खुलासा किया है।
1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति, भाषा और पेसा कानून का मामला गांव-गांव तक पहुंच गया है। गौरतलब है कि दुमका में स्थानीय नीति को लेकर आंदोलन तेज होने लगा है। दरअसल, फूलो-झानो मुर्मू 1932 खतियान संगठन के बैनर तले जिले के विभिन्न गावों में हासा (मिट्टी)
1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति, भाषा और पेसा कानून का मामला गांव-गांव तक पहुंच गया है। गौरतलब है कि दुमका में स्थानीय नीति को लेकर आंदोलन तेज होने लगा है। दरअसल, फूलो-झानो मुर्मू 1932 खतियान संगठन के बैनर तले जिले के विभिन्न गावों में हासा (मिट्टी)
1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति, भाषा और पेसा कानून का मामला गांव-गांव तक पहुंच गया है। गौरतलब है कि दुमका में स्थानीय नीति को लेकर आंदोलन तेज होने लगा है। दरअसल, फूलो-झानो मुर्मू 1932 खतियान संगठन के बैनर तले जिले के विभिन्न गावों में हासा (मिट्टी)
संताल के किसान परेशान हैं। वे भी एक कीट से। इस कीट को वे भनभनिया कीट के नाम से पुकारते हैं। तैयार होने वाली धान की बालियों में भनभनिया कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस कीट के प्रकोप से धान की बाली में दूध भरने से पहले काफी क्षति पहुंच चुकी है।