द फॉलोअप टीम, देवघर:
संताल के किसान परेशान हैं। वे भी एक कीट से। इस कीट को वे भनभनिया कीट के नाम से पुकारते हैं। तैयार होने वाली धान की बालियों में भनभनिया कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस कीट के प्रकोप से धान की बाली में दूध भरने से पहले काफी क्षति पहुंच चुकी है।
कई गांव के किसानों का हाल बुरा
कांजो पंचायत के बुढ़ाबांधकियारी, दलहा, जरहरिया आदि क्षेत्रों के दर्जनों एकड़ में लगी फसल को यह कीट अपनी चपेट में ले चुका है। किसानों ने बताया कि धान की फसल में ऐसे कीटों के नियंत्रण को लेकर तकनीकी जानकारी नहीं रहने के कारण फसल तेजी से बर्बाद हो रही है। प्रखंड में कृषक मित्र के अलावा आत्मा के कार्यालय आदि रहने के बावजूद किसानों को फसल उगाने के नवीन तरीके, मिट्टी की जांच, फसल पर लगने वाले रोग और उसके उपचार की सारी जानकारी नहीं मिलती है। यही कारण है कि आज भी किसान पिछड़े हैं, उन्हें फसल के बदले उचित आमदनी नहीं मिल पाती। किसान हजारों रुपये फसल उजपाने में लगाकर भी कंगाल हो रहे हैं।
पथरगामा में बर्बाद हो गयी थी फसल
भनभनिया कीट के कारण फसल बर्बाद होने का मामला पिछले साल भी आया था। गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड में भी दर्जनों एकड़ में लगी फसल इस कीट की वजह से नष्ट हो गया था। इसके बाद ही कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने मुआवजा देने की घोषणा की थी।
कैसे पहुंचाता है नुकसान
भनभनिया कीट धान के पौधों के रस को चूसकर पौधों को सुखा देती है। जिससे धान की बालियों में दाना नहीं बन पाता है। इन कीटों का प्रकोप धान पौधे के निचले हिस्सों पर होता है। इस रोग से ग्रसित सूखे पुआल को मवेशी भी खाना पसंद नहीं करते हैं। खेत के कुछ चप्पों पर फसल सूख जाती है।
कैसे कर सकते हैं बचाव
सस्य वैज्ञानिक डॉ. अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि धान की फसल को भनभनिया के प्रकोप से बचाने के लिए अविलम्ब इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल दवा का 1 मिली. मात्रा प्रति 3 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर सबसे पहले जहां से पुआल काटकर हटाए गए हैं। वहां जमीन पर छिड़काव करें। उसके बाद पूरे फसल पर स्प्रेयर को टोंटी के नीचे ले जाकर ऊपर तक अच्छी तरह छिड़काव करें। छिड़काव की प्रक्रिया को फसल तैयार होने तक प्रत्येक सप्ताह दोहराना चाहिए। सप्ताह के बाद दुबारा छिड़काव करना किसानों के लिए लाभप्रद होता है।