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सीटों के बंटवारे पर रस्साकशी, कांग्रेस ने महागठबंधन तो लोजपा ने राजग को उलझाया, अलग-अलग चुनाव लड़ने की भी भभकी

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द फॉलोअप टीम, पटना 
बिहार में चुनाव अधिसूचना जारी होने के तीन दिन बाद भी राजग और विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे की गुत्थी नहीं सुलझ रही है। चुनावी समर में उतरने से पहले राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों में ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने की रस्साकशी भी जारी है। हालात ये हैं कि मन मुताबिक सीट न मिलने से आरएलएसपी के महागठबंधन से टूटने के बाद अब कांग्रेस ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की धमकी दी है। वहीं राजग में लोजपा के तेवर लगातार तल्ख होते जा रहे हैं।

महागठबंधन का हाल
राजद की अगुवाई वाले विपक्षी महागठबंधन के सीट बंटवारे के फार्मूले से कांग्रेस और वाम दल खुश नहीं है। कांग्रेस को 65 सीट के प्रस्ताव से नाराज पार्टी की प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की धमकी दी है। वाम दल अलग मोर्चा बनाने की चेतावनी दे रहे हैं। आरएलएसपी ने भले ही तेजस्वी को चेहरा बनाने का विरोध करते हुए महागठबंधन से दूरी बनाई, लेकिन सच्चाई यह है कि राजद उसे एक दर्जन से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं था।

क्या है राजद का फार्मूला
दरअसल राजद खुद 155 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है। उसकी योजना कांग्रेस को 65, वाम दलों को 20 सीटें देने की है। राजद वीआईपी और झामुमो को अपने कोटे से सीटें देने को तैयार है। राजद ने कांग्रेस को वाल्मीकि नगर लोकसभा चुनाव लड़ने का भी प्रस्ताव दिया है। मगर इस सूरत में उसे 65 की जगह 58 सीटें देने पर ही राजी है। कांग्रेस कम से कम 70 सीटें चाहती है, जबकि वाम मोर्चा 30 से कम सीटों पर राजी नहीं है।

इन दलों का नहीं है मजबूत आधार
कांग्रेस और वाम दल भले ज्यादा सीटें मांग रहे हैं, मगर राज्य में इनका मजबूत आधार नहीं है। बीते चुनाव में कांग्रेस अपने हिस्से की 40 में से 27 सीटें जरूर जीती थीं, मगर इसका कारण पार्टी को मिला जदयू-राजद मतदाताओं का साथ था। इतना ही नहीं बीते चुनाव में इन्हीं दो दलों के कई नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वाम दलों में सीपीआई माले का ही थोड़ा प्रभाव है। बीते चुनाव में उसे तीन सीटें मिली थी, जबकि भाकपा, माकपा खाता भी नहीं खोल पाई थी।

राजग में नीतीश बनाम चिराग
सीट बंटवारे के मामले में सत्तारूढ़ राजग की स्थिति भी महागठबंधन जैसी है। मुख्यमंत्री लोजपा को भाव नहीं देना चाहते। जबकि लोजपा ने मनमाफिक सीटें नहीं मिलने पर भाजपा उम्मीदवारों को छोड़ कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की धमकी दी है। राजग में शामिल तीन अहम दलों के पास सीट बंटवारे का अपना-अपना फार्मूला है, लेकिन तीनों एक दूसरे के फार्मूले को खारिज कर रहे हैं।

ये है फार्मूला
नीतीश चाहते हैं कि भाजपा और जदयू आधी-आधी सीटें बांट ले। इसके बाद भाजपा लोजपा को अपने कोटे से तो जदयू हम को अपने कोटे से सीट दे। अगर आरएलएसपी राजग में आता है तो जदयू उसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है। भाजपा में नीतीश फार्मूले पर मंथन हुआ। सहमति भी बनती दिख रही थी, मगर चिराग के तीखे तेवर से पेच फंस गया। भाजपा चाहती है कि वह खुद 101, जदयू 103 सीटों पर चुनाव लड़े। बाकी बची 39 सीटें सहयोगी लोजपा और हम को बांट दी जाए।

भाजपा-लोजपा के बीच फंसा है पेंच
भाजपा लोजपा को अधिकतम दो दर्जन सीटें देना चाहती है। बाकी की 15 सीटें हम और रालोसपा के लिए बचाना चाहती है। मगर इस प्रस्ताव पर जदयू और लोजपा दोनों को आपत्ति है। उधर चिराग चाहते हैं कि उसे बीते विधानसभा चुनाव की तरह 42 सीटें मिले। अगर उसे 33 सीटें दी जाती हैं तो लोजपा को विधानपरिषद की दो और राज्यसभा की एक सीट दी जाए। अगर इस पर भी सहमति नहीं है तो चिराग को डिप्टी सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए।