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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पोते ने पीएनबी के कर्मचारियों पर प्रॉपर्टी लूटने और धोखाधड़ी का लगाया आरोप

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द फॉलोअप टीम, पलामू 
पूर्व विधायक इंदर सिंह नामधारी के पोते और दवा व्यवसाई मुख्तियार सिंह नामधारी ने रांची स्थित कोतवाली थाने में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 12 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराया है। आरोप मुख्य तौर से मुख्तियार सिंह की पत्नी दीप्ती गंभीर ने लगाया है, जिसमे में यह कहा गया है कि बैंक के अधिकारियों ने ढाई करोड़ की प्रॉपर्टी को हड़पने का प्रयास किया। इसके लिए बैंक की ओर से नीलामी से संबंधित नोटिस भी अखबार में प्रकाशित गुई। हालांकि बैंक ने इस धोखाधड़ी से इंकार किया है। साथ ही कहा है कि सरफैसी एक्ट के तहत प्रॉपर्टी को मर्ज करते हुए कार्रवाई की गई है। 

क्या है पूरा मामला 
जानकारी के अनुसार दीप्ति गंभीर ने बताया है कि वर्ष 2012 में उन्हें लोन की आवश्यकता थी। लोन के सिलसिले में वह पंजाब नेशनल बैंक महावीर चौक अपर बाजार शाखा में जाकर बैंक मैनेजर से मिलीं। वहां उनकी बातचीत तत्कालीन शाखा प्रबंधक सुभाष चंद्र लिंका से हुई। इस दौरान शाखा प्रबंधक ने उन्हें प्रॉपर्टी अगेंस्ट लोन मिलने की बात बताई। उनकी बात से सहमत होने के बाद दीप्ति गंभीर ने रातू रोड न्यू मार्केट चौक स्थित रूपराम टावर के समीप स्थित कमर्शियल हॉल नंबर 115 और 116 को गिरवी रखकर 75 लाख का लोन ले लिया। उनका लोन स्वीकृत कर लोन देते समय बैंक की ओर से यह विश्वास दिलाया गया था, कि लोन की राशि चुकता होते ही संबंधित प्रॉपर्टी की डीड वापस कर दी जाएगी।

डीड देने में किया था टालमटोल
दीप्ति का कहना है कि 27 दिसंबर 2019 को लोन से संबंधित पूरी रकम चुकता कर दी गई है। प्रॉपर्टी की डीड वापस मांगने पर टालमटोल इसके बाद जब दीप्ति की ओर से संबंधित प्रॉपर्टी की डीड वापस मांगी गई तो डीड देने से टालमटोल किया जाता रहा है। दीप्ति के अनुसार उनकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब ढाई करोड़ रुपये है। इसे बैंक के अधिकारी मिलकर हड़पना चाहते हैं। 

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क्या है बैंक का पक्ष 
इस मामले में रवि कुमार (सीनियर मैनेजर) ने बताया कि केस दर्ज कराने वाली दीप्ति गंभीर के पति मुख्तियार सिंह की कंपनी प्रताप डिस्ट्रीब्यूटर्स का पीएनबी में लोन एकाउंट चल रहा है, जो एनपीए हो चुका है। एनपीए होने की स्थिति में उनकी पत्नी के नाम से पूर्व के लोन अकाउंट के लिए मॉरगेज प्रॉपर्टी को अटैच कर लिया गया। यह सरफेसाई एक्ट के तहत बैंक के पास अधिकार है। धोखाधड़ी से संबंधित लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। बैंक ने अपने स्तर से कार्रवाई की है, कानूनी पहलुओं को देखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी।