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इंटरव्यू के 18 माह बाद भी प्रभारी के भरोसे चल रहा रिनपास

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द फॉलोअप टीम, रांची
रांची इंस्टीटयूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलायड साइंस (रिनपास) को 14 सालों से स्थायी निदेशक नहीं मिल पाया है। 16 अक्तूबर 2019 को विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी ने रिनपास को स्थायी निदेशक देने के लिए इंटरव्यू लिया था। इस इंटरव्यू में दो मनोचिकित्सक शामिल हुए थे। इनमें से एक को निदेशक बनाने की अनुशंसा इंटरव्यू बोर्ड ने की, लेकिन 18 माह बाद भी स्थायी निदेशक की नियुक्ति पर मुहर नहीं लग पाई। 


14 सालों से प्रभार में ही चल रहा है रिनपास
रिनपास राज्य का एक मात्र सरकारी मनोचिकित्सा संस्थान है। ब्रिगेडियर पीके चक्रवर्ती रिनपास के स्थायी निदेशक थे। 31 जुलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद से संस्थान प्रभार में ही चल रहा है। रघुवर दास की सरकार ने अपने कार्यकाल के आखरी साल स्थायी निदेशक के लिए इंटरव्यू कराया था, लेकिन रिनपास के सूत्रों की मानें तो वर्तमान प्रभारी निदेशक सुभाष सोरेन की सरकार में पकड़ इतनी है कि 18 माह बाद भी उस कमेटी की अनुशंसा कहीं फाइलों में पड़ कर धूल फाक रही है।

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रिनपास में अनियमितता और गड़बड़ियों की शिकायत हुई आम
रिनपास में अनियमितता और गड़बड़ियों की शिकायत आम बात है। दो पूर्व प्रभारी निदेशक पर भी इस तरह का आरोप लग चुका है। एक निदेशक को गिरफ्तार भी किया गया था। अभी भी कई मामले की जांच चल रही है। अनियमितता और गड़बड़ियों की जांच मामले में 17 फरवरी को भी जांच हुई थी। जिसमें आरडीडी स्वास्थ्य सेवाएं, दक्षिणी छोटानागपुर डॉ. अरविंद ने कई फाइलों को खंगाला था। साथ ही कई अन्य को जांच के लिए अपने साथ ले गए थे। आपको बता दें कि यहां प्रोन्नति, नियम विरुद्ध तरीके से राशि खर्च की शिकायत की गई थी। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्र के भवन तथा नवनिर्मित भवन का बगैर क्वालिटी जांच कराए हैंडओवर लेने, दोनों में निम्न स्तरीय निर्माण कार्य कराने का आरोप लगाया गया है। वहीं विभाग को रिनपास में दूसरे राज्यों के मरीजों को भी पैसा लेकर स्थानीय का गलत प्रमाण पत्र लगा कर आठ से दस महीनों तक भर्ती रखा जा रहा है। इसमें कथित तौर पर निदेशक के करीबी और सुरक्षा कर्मियों तथा सफाई कर्मियों का गिरोह मिलकर काम करने की सूचना दी गई थी। बताते चलें कि नियम है कि किसी भी मरीज को तीन माह से अधिक भर्ती नहीं करना है।


वर्तमान निदेशक पर भी है भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
वर्तमान में रिनपास के प्रभारी निदेशक डॉ. सुभाष सोरेन पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप हैं। इसको लेकर लोकायुक्त से शिकायक भी की गई है। 2019 में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने रिनपास में सुरक्षा एजेंसी चयन के मामले में निदेशक पर जानबूझकर देर करने का आरोप में स्पष्टीकरण मांगा था।



सुरक्षा का मामला भी आठ महीने से अधर में लटका
इधर, रिनपास में सुरक्षा का मामला भी आठ महीने से अधर में लटका हुआ है। सुरक्षा एजेंसी के लिए 2018 के 2 दिसंबर को निविदा निकाली गई थी। सचिव के मुताबिक जानबूझकर टेंडर का मामला अबतक लटका हुआ है। विवाद के डर से पैनल लॉयर के लिए विभागीय मंजूरी दी गई। निदेशक ने अपने स्प ष्टिदकरण में लिखा कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दर नहीं मिलने के सबब मामले में विलंब हुआ। जबकि श्रम विभाग की दर बहुत पहले से ही रिनपास में लागू है।