द फॉलोअप टीम, लखनऊ:
आज हाथरस रेप मर्डर कांड को पूरे एक साल हो गए हैं। हाथरस के बूलगढ़ी में 14 सितम्बर 2020 को ही एक युवती के साथ वारदात हुई। इस घटना को खूब मिडिया कवरेज मिली थी। पूरे देश में बवाल मच गया था। युवती के भाई की तहरीर पर पुलिस ने जानलेवा हमला और एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया था। बाद में पीड़िता का बयान लिया गया था। 29 सितंबर को इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी। जिसके बाद युवती के परिवार की अनुमति के बिना ही पुलिस प्रशासन ने रात में ही युवती का शव जला दिया था। इसके बाद खूब बवाल हुआ। सरकार ने इसकी जांच सीबीआई के हवाले कर दी। अब शायद लोग अपनी व्यस्तता के कारण भूल गए हो, कि आखिर वह पीड़ित परिवार कहां गया। क्या अब भी उनके जीवन में उस काण्ड का कोई असर रहा है।
जमानत नहीं मिली है आरोपियों को
सीबीआई जांच के बाद आरोपी रवि, लवकुश, रामू और संदीप के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हुआ था। चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। अभी तक इस प्रकरण में किसी को जमानत नहीं मिली है। हाथरस की अदालत में सुनवाई चल रही है। कुल 104 लोगों को गवाह बनाया है। अब सवाल उठता है कि पीड़ित परिवार किस हाल में है। दैनिक भास्कर की रिपोर्टर पूनम कौशल ने पिछले साल भी इस मामले को पूरी सख्ती से उठाया था और एक साल पूरे होने पर वह पीड़ित परिवार से मिलने गयीं, तो उन्हें मालूम हुआ कि परिवार किस दर्द से गुजर रहा है।
एक साल से कैद है परिवार
पीड़ित परिवार की सुरक्षा के 135 जवान तैनात हैं। घर के छत, दरवाजे और बाहर हर समय हथियारों से लैस जवान तैनात रहते हैं। पूनम कौशल ने जब मृतका की भाभी से बात की तो उनकी भाभी ने कहा “हमारे लिए अब भी खतरा बना हुआ है। जब मैं अपनी तीन बेटियों को देखती हूं तो मुझे ये सुरक्षा जरूरी लगती है। ये लोग हैं, तो हम यहां हैं, वरना हम कब के यहां से चले गए होते। खैर डर तो उसी दिन खत्म हो गया था जिस दिन उनकी बॉडी को जबरदस्ती जला दिया गया था। उससे भी बुरा हमारे साथ और क्या होगा। अब तो सबसे बुरा हो चुका है। अब किसी बात का डर नहीं है। अब बस न्याय के लिए लड़ना है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा हम लड़ते रहेंगे।”
मृतका के भाई को छोड़नी पड़ी नौकरी
घर का कोई भी सदस्य घर से बाहर बिना सुरक्षा के नहीं निकल सकता है। दुकान तक भी जब कोई जाता है तो सुरक्षाकर्मी साथ रहते हैं। मृतका के छोटे भाई ने बताया 'सुरक्षा की वजह से मुझे नौकरी छोड़नी पडी है। मैं अपने घर में ही हूं। मैं किसी दोस्त से भी नहीं मिल पाता हूं और न ही घर से बाहर निकल पाता हूं। 'दरअसल इस गांव का हर सख्श इस परिवार के खिलाफ है सबको यही लगता है कि यह परिवार झूठी कहानी गढ़ कर सरकारी पैसों पर मौज कर रहा है।
कोई हाल तक नहीं पूछता है परिवार का
मृतका के पिता कहते हैं, “वैसे तो गांव की ऊंची जाती से पहले भी हमलोगों का कोई वास्ता नहीं था। पिछले साल पूरे देश से लोग हमारे घर आए, लेकिन गांव की ऊंची जाती के लोग नहीं आए। पहले ही लोगों के यहां हमारा आना-जाना पहले भी सीमित ही था। इस घटना के बाद बिल्कुल बंद हो गया है। हम पूरे परिवार के लोग इसी दो कमरे के घर में रहते हैं। गांव के ऊंची जाति के एक व्यक्ति कहते हैं कि अगर हमने इन लोगों से छू भी लिया तो नहाना पड़ता है और गंगाजल छिड़कना पड़ता है।”
25 लाख रुपए की आर्थिक मदद
इस घटना के बाद परिवार को 25 लाख रुपए की आर्थिक मिली है। इसी बात से गांव वाले नाराज हैं कि परिवार सरकारी पैसे पर मौज कर रहा है। परिवार इसी पैसे में से घर का खर्च चला रहा है, कोई भी सदस्य अभी कोई काम नहीं कर पा रहा है। सरकार ने परिवार को घर और एक नौकरी देने का वादा भी किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। बड़े भाई कहते हैं, 'हम इंतजार कर रहे हैं कि सरकार नौकरी और घर देने का अपना वादा पूरा करे।'
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