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रांची: झारखंड में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बेरोजगारी, संगठित-असंगठित क्षेत्र में नहीं हुआ रोजगार का सृजन

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

ना केवल झारखंड बल्कि पूरे देश में ही इस वक्त बेरोजगारी और रोजगार की मांग ज्वतलंत मुद्दा है। कोरोना की दूसरी लहर में भले ही पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन ना लगाया गया हो लेकिन रोजगार पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। जून में देश में बेरोजगारी दर 9.17 फीसदी थी। हालांकि झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, पश्चम बंगाल और बिहार जैसे तकरीबन 11 राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा थी। रिपोर्ट में पता चला है कि जिन राज्यों में मनरेगा के तहत लोगों को काम बांटा गया वहां बेरोजगारी दर कम रही है। 


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी का आंकड़ा
सेटंर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में बेरोजगारी 12.8 फीसदी है। ये राष्ट्रीय औसत 9.17 से ज्यादा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा में सर्वाधिक 27.9 फीसदी बेरोगार हैं। राजस्थान में ये दर 26.2 फीसदी है। बंगाल में 22.1 फीसदी है। बेरोदागकरी का सीधा सा मतलब ये होता है कि कितने लोग काम चाहते हैं और ऐसा चाहने वाले कितने लोगों को काम नहीं मिला। गुराज में 1.8 फीसदी, मध्य प्रदेश में 2.3 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 2.6 फीसदी, महाराष्ट्र में 4.4 फीसदी और पूयी में 4.3 फीसदी बेरोजगारी है जो राष्ट्रीय औसत 9.17 फीसदी से कम है। गौरतलब है कि सीएमआईई देश के 44 हजार 600 घरों का सर्वे कर हर महीने बेरोजगारी दर के आंकड़े देता है। इस रिपोर्ट में कई हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। 

 

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जून महीने में इतने करोड़ लोगों ने गंवाया रोजगार
जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून में 38.32 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। जून 2019 के मुकाबले ये 1.70 करोड़ कम है। 27 प्रमुख राज्यों में से 15 में नियुक्त लोगों की संख्या जून 2019 के मुकाबले कम हो गई है। सर्वाधिक कमी पुदुचेरी (-54.41) तमिलनाडु (-30.73) और केरल (-24.62) में आई है। इस रिपोर्ट में जानकारी मिलती है कि यूपी में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत की आधी है। कहा जा रहा है कि यहां लेबर पार्टिसिपेशन यानी काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या काम हुई है। यूपी में ये दर 34.70 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत 39.57 फीसदी से कम है। 

 

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राजस्थान में बंद हो गए कई छोटे उद्योग-धंधे
राजस्थान में बेरोजगारी की बड़ी वजह छोटे उद्योगों का बंद होना है। राजस्थान में तकरीबन 17 लाख रोजगार छोटे उद्योगों में हैं। कोरोना की दूसरी लहर में बाजार बंद होने से मांग घटी और उद्योग बंद हो गए। नौकरियां भी गईं। हरियाणा में 8 लाख लोग ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करते हैं। मांग होने की वजह से उद्योग पूरी गति से नहीं चल पा रहा है। ऐसे में बेरोजगारी बढ़ी है। झारखंड में भी यही हालात हैं। यहां कोई प्रमुख उद्योग नहीं है। लोग काम की तलाश में पलायन करते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में पहले जैसे हालात की आशंका से लोग वापस लौट आए। सरकार उन लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार का इंतजाम नहीं कर पाई जो दूसरे राज्यों से वापस आए थे। 

 

झारखंड में सरकार नहीं कर पाई रोजगार सृजन
झारखंड में वैसे भी रोजगार का मुद्दा छाया हुआ है। प्रत्येक साल पांच लाख नौकरियों का वादा कर सरकार में आई हेमंत सरकार अभी तक एक भी नियुक्ति नहीं निकाल पाई है। पारा शिक्षक लगातार नियमित और स्थायी करने की मांग कर रहे हैं। छठी जेपीएससी परीक्षा का रिजल्ट रद्द किया जा चुका है। सातवीं, आठवीं और नौवीं जेपीएससी के लिए प्रारंभिक परीक्षा नहीं हो पाई है। पंचायत सचिव की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन बहाली नहीं हो पा रही है। हाईस्कूल शिक्षकों को लेकर भी मामला अदालत में है। दूसरी तरफ कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से असंगठित क्षेत्र में लगे कामगारों ने रोजगार गंवा दिया है। यही वजह है कि बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। सरकार ना तो संगठित क्षेत्र में और ना ही असंगठित क्षेत्र में रोजगार का सृजन कर पाई है।