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बदचलनी का आरोप लगाकर पति ने घर से निकाला, गाय के तबेले में बच्ची को दिया जन्म…फिर क्या हुआ जानिये

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द फॉलोअप टीम, मुंबई:
बात आधी सदी पुरानी है। एक गर्भवती महिला का उसका ही पति घर से बाहर निकाल देता है। उसे शक होता है कि उसके गर्भ में किसी और का ही बच्चा पल रहा है। उस असहाय औरत को वो गाय के तबेले में लाकर फेक देता है। दर्द से कराहती महिला तबेले में ही एक बच्ची को जन्म देती है। पत्थर से मार-मारकर आवंल नाल को अपने ही हाथ से तोड़ देती है। इस बेबसी के बीच वो साहस बटोरती है और लेती है एक संकल्प जिसने इतिहास रच दिया।

चिंदी नाम की उस लड़की की कहानी

यह कहानी चिंदी नाम की उस लड़की की है, जिसका जनम 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा में हुआ था। वो चौथी तक ही पढ़ सकी। आर्थिक मजबूरियों के कारण मां-बाप ने महज 10 साल की उम्र में उसकी शादी 30 वर्ष के एक व्यक्ति से कर दी। तब भी पुरुष दंभ वही था कि स्त्री  उसके पैरों की जूती है। पति ने एक दिन 9 महीने की गर्भवती चिंदी को घर से बदचलन कहकर निकाल दिया था। बच्ची को जन्म देने के बाद उसने संकल्प लिया कि वो अब हर बेसहारा बच्चों की मां बनेगी। अब अपने लिए की जीना, दूसरे के लिए जिंदगी होम कर देना है।


 

रेलगाड़ी में भजन गाना शुरू किया
अब जाएं तो जाएं कहां। नवजात को ट्रेन में लेकर घूमने लगीं। खुद के साथ बच्चे का भी जीना जरूरी था। लेकिन भीख नहीं मांगी। भजन गाना आरंभ कर दिया। एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन में भजन सुनातीं। रेलवे स्टेशन पर जब एक निराश्रित बच्चा मिला तो उनके मन में विचार कौंधा कि ऐसे हजारों बच्चे और भी हैं। उनका क्या होगा? अब अपनी बच्ची समेत उनके दो बच्चेे हो गए। और सिलसिला चल पड़ा। हर अनाथ बच्चे की वो मां बनती गईं। इस दौरान अनाथ बच्चों के साथ मिल बांट कर खाया। एक दिन सभी के सहयोग से एक झोपड़ी बना ली। सभी बच्चेे वहीं रहने लगे। भजन गाकर इनके लिए खाना इकट्ठा करती और उनका पालन पोषण करने लगी। 

महाराष्ट्र की सिंधु ताई आज 1000 से ज्यादा बच्चे की कर रहीं परवरिश

बात सिंधु ताई सपकाल की है। जिन्हें  महाराष्ट्र की मदर टेरेसा टेरेसा कहा जाता है। वो एक ऐसी मां हैं, जिनके आंचल में एक-दो नहीं, बल्कि हजारों बच्चे दुलार पाते हैं। महाराष्ट्र की 5 बड़ी संस्थाओं में सभी का पालन-पोषण होता है। ताई सबकी मां हैं और सभी के पालन-पोषण व शिक्षा-चिकित्सा का भार उन्हीं के कंधों पर है। आज सिंधु ताई उर्फ माई के परिवार में 1000 से ज्यादा बच्चे हैं जिसमें 272 दामाद और 36 बहुएं हैं। कई बच्चे पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील इत्यादि ऊंचे ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। एक बच्चाऔ तो सिंधु ताई के जीवन पर ही पी एच डी कर रहा है। रेलवे स्टेशन पर मिला वह पहला बच्चा आज उनका सबसे बड़ा बेटा है और पांचों आश्रमों का प्रबंधन उसके कंधों पर है। अपनी सैकड़ों बेटियों का वे धूमधाम से विवाह कर चुकी हैं और परिवार में बहुएं भी आ चुकी हैं।


पदमश्री समेत 172 अवार्ड से सम्मानित
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदमश्री से सम्मानित सिंधु ताई के जीवन पर मराठी निर्देशक अनंत महादेवन ने फिल्मा भी बनाई है। उसके अलावा ताई को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय करीब 172 पुरस्काअर-सम्मामन मिल चुका है।