द फॉलोअप डेस्क
उत्तरकाशी के टनल में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, डुमरिया प्रखंड निवासी मजदूर के पिता की मौत हो गयी है। मजदूर का नाम भक्तू मुर्मू और उसके मृतक पिता का नाम बासेत उर्फ बारसा मुर्मू है। बारसा मुर्मू पिछले 17 दिनों से अपने बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे थे। बारसा की मौत उनके पैतृक गांव बाहदा में हुई है, जो कि जिले की बांकीशोल पंचायत में है। बताया जाता है कि बारसा मुर्मू अपने दामाद से मिलने गये थे। वहीं अचानक वे खाट पर से गिर गये और उनकी मौत हो गयी। लोगों ने बताया कि बेटे के टनल में फंसने के बाद वे काफी परेशान थे। न उनको भूख लग रही थी न वे ठीक से सो पा रहे थे। हालांकि अब भक्तू मुर्मू टनल सकुशल बाहर निकल आया है। लेकिन अब उसके पिता इस दुनिया में नहीं है। परिवार इससे सदमे में है। मृतक बारसा मुर्मू की आयु 70 साल बताई जाती है।
गांव नहीं आया कोई सरकारी अधिकारी
गांव के लोगों ने बताया कि भक्तू मुर्मू के टनल में फंसने की सूचना उनको सोंगा बांडरा नाम के दूसरे मजदूर से मिली थी। सोना बांडरा भी उत्तरकाशी में ही मजदूरी करता है, लेकिन वो दूसरी जगह काम कर रहा था। बताते हैं कि टनल में मजदूरों के फंसने की सूचना के बाद कोई भी सरकारी अधिकारी इस गांव में नहीं आये हैं। जबकि डुमरिया प्रखंड के ही छह मजदूर टनल में फंसे हुए थे। इससे ग्रामीण आक्रोश में हैं। बारसा मुर्मू की मौत से उनकी पत्नी पिती मुर्मू की हालत भी खऱाब है। उसने लोगों से बातचीत करना बंद कर दिया है। खबर लिखे जाने तक वो भी अपने बेटे के घर लौटने का इंतजार कर रही थी। बारसा मुर्मू का अंतिम संस्कार कब होगा, इसके बारे में कुछ भी बोलने से परिजन कतरा रहे हैं।
ऋषिकेश एम्स भेजे गये टनल से निकाले गये सभी मजदूर
इधर, उत्तरकाशी से खबर है कि टनल से निकाले जाने के बाद मजदूरों को ऋषिकेश एम्स भेजा गया है। उन्हें सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से एम्स रवाना किया गया है। 41 कर्मचारी चिन्यालीसौड़ में भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान चिनूक में बैठकर चिकित्सा जांच के लिए एम्स ऋषिकेश ले जाये गये हैं। मंगलवार शाम रेस्क्यू के बाद सभी श्रमिक चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती थे। यहां इनकी जांच पड़ताल की गई और इसके बाद फैसला किया गया कि सभी को एम्स ऋषिकेश भी भेजा जाएगा ताकि आगे की जरूरी जांच हो सके।