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युवाओं की मतदान में अरुचि, लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

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संजय रंजनः

वोट प्रतिशत गिरना बीजेपी/कांग्रेस के लिए फ़ायदेमंद या खतरे की बात हो या ना हो लेकिन यह लोकतंत्र के लिए खतरे की बात है। खासकर युवाओं का मतदान के प्रति उत्साहित नहीं होना चिंताजनक है। ये हैरान करने वाली बात है कि चुनाव से पहले जो युवा (लड़के-लड़की) 18 वर्ष के हुए हैं, उनमें से मात्र 38 प्रतिशत युवा ही खुद का नाम मतदाता सूची में जुड़वा पाए हैं। यानी कि 62 फीसदी युवा नए वोटर/फस्ट वोटर बनने में दिलचस्पी ही नहीं ली। ये चुनाव आयोग के आंकड़े हैं. CSDS लोकनीति की सर्वे के मुताबिक युवा बेरोजगारी और मंहगाई से परेशान हैं। 62 प्रतिशत युवा मानते हैं कि रोजगार नहीं के बराबर है। इसी प्रकार 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मंहगाई बहुत परेशान कर रही है। 

अब सवाल है कि मतदान के प्रति युवाओं में अरुचि के लिए जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों हैं. कैसे? इसे ऐसे समझिये कि चार सौ पार के नारे ने अलग-अलग पार्टियों के समर्थकों का उत्साह ही समाप्त कर दिया है। याद कीजिये नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर बैठाने वालों में सबसे अहम योगदान युवाओं का ही था। युवा जो अब भी मोदी के समर्थक हैं, मोदी की गारंटी में नौकरी और मंहगाई की बात नहीं होने से निराश हैं। बीजेपी के घोषणा पत्र में किसी भी तरह के नयापन नहीं होने से परेशान हैं। निराश युवा की उम्मीद विपक्ष में भी दिखाई नहीं दे रही है। विपक्ष नौकरी की बात तो कर रहा है लेकिन धरातल पर मजबूती से लड़ाई में दिख नहीं रहा है. विपक्ष जिसकी भूमिका जनता के असल सवाल को राजनीतिक मुद्दा बनाना है. इसमें एकजुटता के आभाव में विपक्ष नाकाम रहा है।

विपक्ष सरकार भी बना सकता है ये माहौल नहीं के बराबर है। कोई भी व्यक्ति इस स्थिति में नहीं है कि डंटकर बोल सके कि हां इंडिया अलायंस की सरकार बन रही है। ऐसा लग रहा है जैसे सब इस कोशिश में हैं मोदी जी सिर्फ 400 पार ना करें। चार सौ पार के नारे ने युवाओं के उत्साह को ही खत्म कर दिया है। नरेंद्र मोदी को चाहने वाले भी इसी खुमारी में नहीं निकल रहे हैं। वो इस गुमान में हैं कि हम तो जीत ही रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि सत्ता पक्ष खुद को जीता हुआ और विपक्ष खुद को हारा हुआ मान बैठा है। लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं है. युवाओं का मतदान में अरुचि और वोट प्रतिशत का कम होना बीजेपी के लिए अलार्मिंग सिचुएशन है. विपक्ष खुश तो बीजेपी चिंतित है। खुशी और चिंता की वजह वोट है, लोकतंत्र नहीं है। अंत में अपील की मतदान जरूर करें।

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