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4,473 मरीज पर महज 1 डॉक्टर, कैसे हेल्दी रहेगा झारखंड

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में डॉक्टर और नर्स की उपलब्धता की स्थिति बेहद खराब है। राज्य की जनसंख्या के हिसाब से देखे तो झारखंड में 4473 लोगों पर एक डॉक्टर ही मौजूद है। पड़ोसी राज्यों की हालत झारखंड से बेहतर है। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित डॉक्टर जनसंख्या अनुपात 01 1000 की गोल्डन फिनिशिंग लाइन देश ने 2018 में ही हासिल कर ली है। 12 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने देश में डॉक्टर और नर्सों की उपलब्धता को लेकर विस्तृत रिपोर्ट राज्यसभा में पेश की थी। जिसमें उन्होंने जून 2022 तक मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता रखने वाले और राज्य चिकित्सा परिषदों/राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में पंजीकृत डॉक्टरों के साथ-साथ 31 दिसंबर 2022 तक प्रशिक्षित नर्सों का पूरा ब्योरा दिया है। 


नर्सो के मामले में भी खराब 
रिपोर्ट के अनुसार बिहार मेडिकल काउंसिल में जहां 48192 एलोपेथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, झारखंड मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड डॉक्टरों की संख्या 7374 है। लास्ट जनगणना के आधार पर ही देखा जाए तो देश में जहां 925 लोगों पर एक चिकित्सक है, वहीं झारखंड में यह अनुपात 01 4473 है। नर्सों के मामले में भी झारखंड की स्थिति खराब है। 

क्या कहते हैं आंकड़े 
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर 2022 तक संबंधित राज्य नर्स पंजीकरण परिषद के अनुसार बिहार में जहां 45920 नर्से पंजीकृत है, वहीं झारखंड में पंजीकृत नसों की संख्या महज 17673 है। इसमें 10900 एएनएम एवं 6773 आरएन (रजिस्टर्ड नसी और आरएम (रजिस्टर्ड मिडवाईफ) हैं। जबकि, बिहार में 119499 एएनएम एवं 26421 आरएन (रजिस्टर्ड नर्स) और आरएम (रजिस्टर्ड मिडवाईफ) है।