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अब जेल सजा की नहीं, सुधार की चहारदीवारी बनेगी

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द फॉलोअप डेस्क
राज्य सरकार ने आज नए जेल मैन्युअल को स्वीकृति प्रदान की। वर्षों पुराने जेल मैन्युअल में कई ऐसी चीजें, तकनीकी प्रावधान नहीं थे, जो आज की जरूरत थी। इसके अलावा नये जेल मैन्युअल को अब सजा की जगह कैदियों के सुधार को केंद्र में रख कर गठित किया गया है। मतलब जेल जानेवाले कैदी अब वहां अपने को सजायाफ्ता की जगह सुधार की दिशा में आगे बढ़ सकें। 1925 में बिहार एवं उड़ीसा कारा हस्तक सूत्रण किया गया था। इसमें औपनिवेशिक प्रशासनिक व्यवस्था के साथ साथ तत्कालीन सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप जातिगत कार्य अथवा प्रजातिगत विसंगति का समावेश था। यह वर्तमान संवैधानिक मान्यताओं एवं सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। इसके अलावा सेवानिवृत न्यायाधीश आनंद नारायण मुल्ला की अध्यक्षता में इंडियन जेल रिफॉर्म्स कमेटी की रिपोर्ट के अनुरूप भी नये जेल मैन्युअल में कई बदलाव किए गए हैं।


नये जेल मैन्युअल में कैदियों के रिहा होने के बाद उनके पुनर्वास पर जोर दिया गया है। उन्हें सरकारी स्कीम से जोड़ कर, नौकरी का प्रावधान कर, भविष्य में सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा झारखंड में लागू बिहार जेल मैन्युअल में ट्रांसजेंडर के रहने की कहीं कोई व्यवस्था नहीं थी। अब ट्रांसजेंडर के लिए प्रावधान किया गया है। वर्तमान जेल मैन्युअल में ओपेन जेल, नक्सली सरेंडर बंदी के लिए भी प्रावधान नहीं थे। हालांकि सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को हजारीबाग ओपेन जेल में रखा जा रहा था। लेकिन जेल मैन्युअल में इसकी चर्चा नहीं थी। 
विश्व में बढ़ते डिजिटाइजेशन को ध्यान में रखते हुए अब ऑनलाइन मुलाकात की भी व्यवस्था की गयी है। इसी तरह वीडियो कंफ्रेंसिंग से कैदियों की सुनवाई में शामिल कराने को मैन्युअल में प्रावधान किया गया। 
सिक्युरिटी क्लासिफिकेशन
नये जेल मैन्युअल में सिक्युरिटी को ध्यान में रखते हुए जेल का क्लासिफिकेशन भी किया जाएगा। दुर्दांत और बड़े अपराधियों को हाई सिक्युरिटी जेल में, मध्यम को मीडियम सिक्युरिटी और सामान्य स्तर के कैदियों को लो सिक्युरिटी जेल में रखा जाएगा।

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