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नई नियुक्तियों से पहले OBC आरक्षण को बढ़ाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री समेत इन सभी को लिखा गया पत्र

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड हाई कोर्ट के वकील सुनील कुमार महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, कॉन्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नाम एक आवेदन पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने पिछड़े वर्ग के आरक्षण प्रतिशत को बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त बिहार में सरकारी नौकरी में पिछड़े वर्ग को 27% आरक्षण मिलता था। 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य बना इसके बाद पिछड़े वर्ग को सरकारी नौकरियों में सिर्फ 14% आरक्षण मिल रहा है जो कि पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुपात में बहुत कम है। 2023 में नियुक्तियां शुरू हो जाएंगी। 75000 शिक्षकों समेत अन्य पद जिनके लिए नियुक्तियां होनी है। अधिकतर जिला संवर्ग के हैं और 7 जिलों गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, खूंटी, लातेहार, पश्चिम सिंहभूम एवं दुमका के पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण शून्य है। रांची समेत पांच जिलों में पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 10 से भी कम है। इन जिलों में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग की आबादी 10% से कम है लेकिन उन्हें 10% आरक्षण देने के लिए कैबिनेट के निर्णय के बाद राज्य सरकार ने संकल्प जारी कर दिया है। एक ओर अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के लोगों को आबादी के अनुपात में एवं आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आबादी के अनुपात से ज्यादा आरक्षण मिल रहा है। तो दूसरी ओर पिछड़े वर्ग के आरक्षण में कटौती कर आबादी के अनुपात में बहुत ही कम आरक्षण दिया जा रहा है। झारखंड में पिछड़े वर्ग की आबादी लगभग 48 प्रतिशत है। किंतु पिछड़ों का आरक्षण 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किए जाने के कारण शिक्षा और रोजगार के मामले में उनका उचित हिस्सा नहीं मिल पा रहा है। 


सरकारी सेवाओं में सीमित होते जा रहा है पिछड़ा वर्ग 
सुनील कुमार महतो ने पत्र में आगे उल्लेख किया है कि राज्य सरकार की सेवाओं में पिछड़े वर्ग की भागीदारी मात्र 12 प्रतिशत है। ज्यादातर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की अधिकतर नौकरियों में आउटसोर्सिंग हो रही है, जिसमें किसी प्रकार का आरक्षण लागू नहीं है। इस कारण पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सरकारी सेवाओं में आने के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। पिछड़े वर्ग को समुचित आरक्षण दिए बिना झारखंड सरकार द्वारा नियुक्ति कर लिए जाने पर आगामी 30-35 वर्षों तक इन पदों पर पिछड़े वर्ग के लोग अपनी हिस्सेदारी से वंचित रह जायेंगे।भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही सामाजिक न्याय का उल्लेख किया गया है और सामाजिक शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग एवं समूहों को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सुविधायें एवं शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के आरक्षण तथा शासकीय नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था उनका संवैधानिक मूल अधिकार है। संजय कुमार महतो ने इस विषय पर सरकार को संज्ञान लेने का आग्रह किया है। 

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