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पहल : झारखंड के अभ्रक को मिलेगी खोई पहचान, गैर-कानूनी तरीके से चले रहे उद्योग पर लगेगा विराम

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड के अभ्रक की खोई पहचान फिर से वापस मिलेगी। इस पहचान को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ढिबरा डंप में कार्य को पुनः प्रारंभ किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को कोडरमा में हरी झंडी दिखाकर वाहन को रवाना किया। इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में सबसे उम्दा अभ्रक का उत्पादन झारखंड में होता है। मगर वर्षों से इस पर ध्यान नहीं दिया गया। मगर अब आपकी सरकार बहुत जल्द इस संदर्भ में कानून लाने जा रही है। मुख्यमंत्री ने पहले चरण में अभ्रक की खोयी पहचान को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से ढिबरा डंप में कार्य को पुनः प्रारंभ करने के लिए वाहन को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि इससे वर्षों से गैर-कानूनी तरीके से चले आ रहे अभ्रक उद्योग पर विराम लगेगा। साथ ही लाखों श्रमिकों का शोषण बंद होगा तथा व्यवस्थित रोजगार का सृजन होगा।

पुनर्जीवन देने का प्रयास कर रही सरकार
कोडरमा में वर्ष 1980 के पूर्व में अभ्रक खनिज के लगभग 400 खनन पट्टे धारित थे। वर्ष 1980 में वन (संरक्षण) अधिनियम लागू होने एवं वन्य प्राणी आश्रयणी के प्रभाव से कोडरमा में धारित अभ्रक खनिज के लगभग सभी खनन पट्टे बन्द होते चले गए। वहीं, वर्तमान में कोडरमा जिला में अभ्रक खनिज का एक भी खनन पट्टा संचालित नहीं है। ऐसे में हेमंत सरकार ने अभ्रक खनिज को पुर्नजिवित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। इस क्रम में झारखंड गजट संख्या 86 दिनांक 03.03.2022 द्वारा झारखण्ड लघु खनिज समनुदान (संशोधन) नियमावली 2021 के नियम 9 (1) (क) के परन्तुक के तहत "झारखंड राज्य अंतर्गत ढिबरा डम्प में पाये जाने वाले अभ्रक खनिज, जिनका व्यवसायिक मूल्य हो के भंडार/डम्प का निष्पादन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लि. के माध्यम से किया जाएगा। उक्त के आलोक में भूतत्व निदेशालय द्वारा कोडरमा के मौजा- चरकी, अंचल कोडरमा में भंडारित ढोबरा डम्प (अवशेष) से अभ्रक का निष्कासन के लिए चिन्हित किया गया है।

सहकारी समितियां करेगी ढिबरा का उठाव
मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाए गए वाहन से ढीबरा डम्प से संबंधित सहकारी समितियों के सदस्यों द्वारा ढीबरा चुनकर कर जिला प्रशासन कोडरमा द्वारा चिन्हित वाहन में लोड किया जाएगा।