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झारखंड पुलिस की अपील, हिंसा छोड़ मुख्यधारा में आएं नक्सली; बनाएं बेहतर समाज

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रांची 

झारखंड पुलिस ने नक्सलियों से हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आने की अपील की है। पुलिस ने कहा है नक्सली जंगल छोड़कर परिवार के साथ रहें और एक बेहतर समाज बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। इस बाबत चाईबासा पुलिस ने एक पोस्टर जारी कर नक्सलियों को संबोधित किया है। जारी पोस्टर में पुलिस ने उन सुविधाओं और छूट का जिक्र किया है जो हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण या मुख्यधारा में आने वाले नक्सलियों को मिलेगी। चाईबासा पुलिस ने कहा है कि झारखंड सरकार ने आत्मसमर्पण नीति को पहले से और अधिक सुगम बना दिया है। इसके तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को 24 घंटे के अंदर ओपन जेल में शिफ्ट किया जा सकेगा, जहां वे अपने परिवार या परिजन के साथ मुक्त जीवन जी सकेंगे। 

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को ये सुविधाएं देगी सरकार 

चाईबासा पुलिस की ओर से जारी पोस्टर में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के सरकारा और पुलिस, दोनों की ओर से राहत मिलेगी। पुलिस की अपील में इन तीन बिंदुओं पर खासा फोकस किया गया है – 
1.    नई नीति के तहत सरेंडर करने वाले माओवादी को जेल नहीं भेजा जायेगा। इस तरह से वे गिरफ्तारी से भी बचेंगे। 
2.    पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद नक्सली सीधे खुले जेल में रखे जायेंगे। यहां वे अपने परिवार और परिजनों के साथ मुक्त और सामान्य जीवन व्यतीत करने के अधिकारी होंगे। 
3.    पोस्टर में अंकित तीसरी अपील में कहा गया है कि उग्रवाद का रास्ता छोड़ना ही नक्सलियों के लिए बेहतर विकल्प है। पुलिस उनसे अपील करती है कि वे हिंसा को छोड़ें और झारखंड सरकार की नई आत्मसमर्पण नीति के तहत मुख्यधारा से जुड़ें। 

बूढ़ा पहाड़ को किया गया नक्सल मुक्त 
गौरतलब है कि झारखंड से नक्सलियों के सफाये को लेकर राज्य सरकार ने कई अभियान शुरू किये हैं। इन अभियानों में झारखंड पुलिस, कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ आदि के जवान लगे हुए हैं। सरकार को इसमें चरणबद्ध सफलता भी मिल रही है। इसी साल पलामू रेंज के बूढ़ा पहाड़ पर खुद सीएम हेमंत सोरेन तिरंगा फहरा चुके हैं। बता दें कि बूढ़ा पहाड़ लगभग तीन दशक से नक्सलियों का गढ़ बना हुआ था। यहां तीन राज्यों बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सली आतंक का पर्याय बने हुए थे।