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झारखंड में गलत दिशा में बहा नल-जल योजना का पानी, 1.87 लाख का जलमीनार 3.5 लाख में बना; कहां हुई गड़बड़ी

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द फॉलोअप डेस्कः
मुख्यमंत्री नल जल योजना के तहत पंचायत में लगाई गई सोलर आधारित जलमीनार के निर्माण में सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है। एक तरफ मुखियाओं ने इसके लिए जहां दो लाख 49 हजार रुपए से लेकर तीन लाख 84 हजार रुपए खर्च तो दूसरी तरफ पंचायत समिति ने जलमीनार निर्माण में आरओ सिस्टम लगाने के बावजूद एक लाख 87 हजार रुपये खर्च किये। अब ऐसे में सवाल यह है कि एक ही एस्टीमेट के बावजूद अलग-अलग राशि कैसे खर्च की गई। दूसरी बड़ी बात यह है तीन लाख 84 हजार से जो जलमीनार बनी है वह शो पीस बनकर रह गई है, वहीं दूसरी तरफ पंचायत समिति के मद जो जलमीनारें बनी हैं। उससे लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है।


रघुवर शासनकाल में दिया गया था काम 
बता दें कि 14 वें वित्त आयोग की राशि से प्रखंड के विभिन्न पंचायतों के मुखियाओं को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में सोलर आधारित जलमीनार लगाने को कहा गया था। इसमें सरकारी चापानल में समरसेबल मशीन लगाने, सोलर पैनल, पानी की टंकी तथा स्ट्रक्चर बनाते हुए प्लेटफॉर्म बनाना था। इसके लिए मुखिया तथा पंचायत सचिव की मिलीभगत से पसंदीदा वेंडरों को काम दिया गया था। यहां तक की कागजों में ग्रामसभा का भी आयोजन किया गया। जलमीनार निर्माण का कार्य शुरू किया गया। 


सरकारी राशि का किया गया बंदरबांट 
मालूम हो कि तीन लाख 84 हजार की लागत से बनी सोलर आधारित जलमीनार को पांच साल तक मेंटनेंस की जवाबदेही तय की गयी, दो लाख 49 हजार की लागत वाली जलमीनार को किसी ने पूछा भी नहीं। जलमीनार निर्माण के लिए दो अलग-अलग प्राक्कलन बनाया गया ताकि सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा सके। बताया जाता है कि प्रखंड के 14 पंचायतों में दो लाख 49 हजार की लागत से लगभग 18 सोलर आधारित जलमीनार का निर्माण कराया गया था। जो शो पीस बने हुए हैं। 


मेंटनेंश के अभाव में बंद पड़ा है जलमीनार
वहीं तीन लाख 84 हजार की लागत से प्रखंड के 14 पंचायतों में लगभग 48 सोलर आधारित जलमीनार का निर्माण कराया गया, जिसे देखने वाला भी कोई नहीं है। इसे ठीक कराने के लिए ना पंचायत के मुखिया ना ही बीडीओ और ना ही जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहें हैं। लोग पानी के लिए परेशान हैं। दूसरी तरफ पंचायत समिति मद से प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में एक लाख 87 हजार की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया गया है। इसके लिए जलमीनार का संचालन विद्युत आपूर्ति से की जा रही है, इस जलमीनार में आरओ सिस्टम लगा हुआ है इसलिए पूरे स्ट्रक्चर की घेराबंदी की गयी है, ताकि गंदगी प्रवेश नहीं कर सकें। 


क्या कहते हैं पदाधिकारी 
प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी बुधेश्वर उरांव ने बताया कि एक लाख 87 हजार रुपए की लागत से आरओ सिस्टम लगा जलमीनार का निर्माण कराया गया है जबकि 14 वें वित्त आयोग की राशि से प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में तीन लाख 24 हजार की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया गया है, इसके लिए राज्य सरकार के द्वारा पत्र जारी किया गया था। मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है

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