हजारीबागः
जैपनीज एन्सेफेलाइटिस (जेई) झारखंड के हजारीबाग जिले तक भी पहुंच गया है। इस खतरनाक बीमारी की चपेट में कटकमसांडी की एक बच्ची आ गई है। इस खबर से ग्रामीणों में दहशत है। बच्ची में जैपनीज इंसेफेलाइटिस के लक्षण पाए जाने के बाद सदर विधायक मनीष जायसवाल के निर्देश पर उनके मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी ने तत्काल पहल शुरू किया है। बच्चों का मैक एलिजा टेस्ट का रिपोर्ट डीएचआर विरॉलजी लैब ग्रेड-2, डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी, रिम्स से बुधवार की शाम को आ गया। जुड़वा बच्चे में से राजपरी यादव (उम्र करीब 15 महीना) का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है।
जागरूकता अभियान चलाया जाए
रंजन चौधरी ने राज्य सरकार, हजारीबाग जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से आग्रह किया कि प्रभावित बच्चे के बेहतर इलाज में पहल करें और कटकमसांडी इलाके में व्यापक स्तर पर डीडीटी का छिड़काव, फॉगिंग, रसायन का छिड़काव और पशुओं के स्थल को लारवारोधी ट्रीटमेंट करके सुरक्षित किया जाए। घर-घर मच्छरदानी का वितरण किया जाए और क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया जाए।
आसपास सर्वे कर रही टीम
कटकमसांडी प्रखंड विकास पदाधिकारी वेदवंती कुमारी और कटकमसांडी सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. योगेंद्र चौधरी के साथ स्वास्थ्य विभाग की एक टीम इन बच्चों के नानीघर (जहां से इनके लक्षण दिखे थे) ढोठवा पंहुचा और आसपास के इलाके में विशेष सर्वे कर जानकारी उपलब्ध की जा रही है।
क्या होता है जपानी बुखार जापानी
इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्लेवीवायरस संक्रमित होते हैं। इंसेफेलाइटिस में दिमाग में सूजन हो जाती है, जो आमतौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होती है, ये सूजन हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। इंसेफेलाइटिस दो तरह के होते हैं – प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी इंसेफेलाइटिस तब होता है जब कोई वायरस या अन्य एजेंट सीधे दिमाग को संक्रमित करता है जबकि सेकेंडरी इंसेफेलाइटिस शरीर की कमजोर इम्यूनिटी के कारण होता है। एक और बात, यह संक्रमक बुखार नहीं है यानि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। इस बीमारी से बचाव के लिए टीका भी उपलब्ध है।