द फॉलोअप डेस्कः
सिमडेगा की वह बच्ची जिसे उसके मामा ने हरियाणा के गुरुग्राम में खट्टार दंपत्ति के पास बेच दिया था उस मामले में नया अपडेट सामने आया है। पता चला है कि खट्टर दंपत्ति को उनके नौकरी से निकाल दिया गया है। मनीष खट्टर मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में कार्यरत था। जबकि उसकी पत्नी कमलजीत कौर एक पीआर कंपनी में थी। कंपनियों को जब इस दंपत्ति के क्रूरता के बारे में पता चला तो कंपनी यह बर्दाश्त नहीं कर सकी एक मासूम बच्ची के साथ कोई इस कदर अमानवीय व्यवहार कैसे कर सकता है। बता दें कि बच्ची को खट्टर दंपत्ती चिमटे से दागते थे, उसे खाना नहीं देते थे, 5 माह से पैसे भी नहीं दिये, ब्लेड से जगह-जगह उसके शरीर को काटते थे। मनीष के कंपनी ने कहा कि कि वे ‘हर समय नैतिक आचरण के उच्च स्तर को बनाए रखने में विश्वास करते हैं। इसलिए मनीष को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। पीआर फर्म मीडिया मंत्रा के संस्थापक ने बताया कि उन्होंने कमलजीत कौर निकाल दिया है।
क्या है मामला
मानव तस्करी झारखंड में एक बड़ी समस्या है। भोले भाले गांव के लोगों को नौकरी दिलाने का लालच देकर मानव तस्कर उन्हें बड़े शहरों में बेच डालते हैं। और यह सम्सया लगातार बढ़ती ही जा रही है। मानव तस्करी से जुड़े सैकड़ों गंभीर मामले होते हैं, लेकिन हमें सिर्फ उनके बारे में ही पता चल पाता है जो उजागर हो हुआ हो। बता दें कि नाबालिग पीड़िता सिमडेगा जिले की रहने वाली है। जिसे हरियाणा के गुरुग्राम में बेच दिया गया था। बेचने वाला और कोई नहीं बल्कि उसका खुद का मामा ही है। उसे काम दिलाने का लालच देकर मनीष खट्टर नामक व्यक्ति के पास बेचा गया था। लड़की को 5 महीने पहले उसका चाचा ने गुरुग्राम में घरेलू सहायिका का काम दिलाने का झांसा देकर ले गया था। मनीष खट्टर के घर पर नौकरानी के रुप में रखा गया। जहां वह अपनी पत्नी कमलजीत कौर और उनकी बेटी के साथ रहता था। जब यह मामला उजागर हुआ तो पीड़िता ने बताया है कि उसे जबरदस्ती घर में बंद कर दिया गया था। पिछले 5 माह से उसके साथ शारीरिक और यौन शोषण होते रहा। उसे ठीक से खाना नहीं दिया जाता था और दिन भर काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। मालिक उसे बेरहमी से पीटते थे। इस वजह से लड़की के पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं।
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सीएम ने लिया है संज्ञान
जब इस बात की जानकारी गुरुग्राम की बाल संरक्षण आयोग को हुई तो गुरुग्राम पुलिस की मदद से उसे बचा लिए गया है। मामले को POCSO अधिनियम, 75 और 79 किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। आगे की जांच के लिए सिमडेगा पुलिस और गुरुग्राम पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है और बचाई गई नाबालिग लड़की और उसके परिवार को समर्थन और सहायता सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया है। उन्होंने ट्वीट के जरिए झारखंड पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने और सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। सीएम ने सिमडेगा डीसी को भी निर्देश दिया है कि बेहतर मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही लड़की की राज्य वापसी कर उसे शिक्षा तथा सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए।
नहीं लाया जाता विधेयक
अब सोचिए जबकि झारखंड से सबसे अधिक बच्चियों, युवतियों, महिलाओं और नाबालिगों की मानव तस्करी होती रही है। तो फिर इस पर कोई कड़ा कानून या विधेयक क्यों नहीं लाया जा रहा। यहां के भोले भाले लोग मानव तस्करी का शिकार होने से बचे इसके लिए बहुत जरूरी है कि सदन में मानव तस्करी को रोकने के लिए एक विधेयक लाया जाए। सालों से इस विधेयक को पारित करने की मांग की जा रही है। कई बार कई सामाजिक संस्था सरकार के पास इसकी फरियाद लेकर पहुंचते हैं, उस वक्त केवल आश्वासन दिया जाता है। लेकिन धरातल पर कभी इस विधेयक को पारित नहीं किया जाता।