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Ranchi : विश्वास रैली के जरिए आदिवासी प्रभाव वाले विधानसभा सीटों को साधना चाहती है बीजेपी: कांग्रेस 

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रांची: 

झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता सतीश पॉल मुंजनी ने भाजपा द्वारा 5 जून को आदिवासी विश्वास महारैली मनाये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अमर शहीदों के गांव को आदर्श गांव बनाया जाएगा। पिछले 70 सालों में अगर किसी ने आदिवासियों के लिए कुछ किया तो वह भाजपा ही है। किसी ने सच ही कहा है कि यदि बोलने वाला और सुनने वाले दोनों को यह पता हो कि जो आवाज आ रही है वह झूठ है तो उसे झूठ नहीं विश्वास माना जाता है। आदिवासी विश्वास रैली का एकमात्र उद्देश्य है कि यहां आदिवासी प्रभाव में आने वाले 28 विधानसभा सीटों को जीता जा सके जिस पर पिछले चुनाव में भाजपा को भारी हार का सामना करना पड़ा। 

बीजेपी को जनजातीय समुदाय की चिंता नहीं! 
विश्वास रैली का आयोजन कर आदिवासियों को पुनः भ्रमित करके उनका वोट लेने के लिए जेपी नड्डा बड़े-बड़े वायदे कर रहे हैं जो पूरा नहीं किया जाएगा। इनका हमेशा से उद्देश्य रहा है झूठ बोलो उसको कुछ समय के लिए सच साबित करो लेकिन झूठ तो झूठ होता है अंततः उसका भेद खुल जाता है और इसको बहुत आसानी से जनता समझने लगी है। भाजपा को जनजातीय समुदाय की चिंता नहीं इनको सिर्फ राजनीति कर इनका लाभ उठाना है।

झारखंड राज्य में 22 वर्षों के कालखंड में 16 वर्षों तक भाजपा शासन में रही है उस समय इनको अमर शहीदों के गांव को आदर्श गांव बनाने से किसने रोका था उनके वंशजों का ख्याल रखने से किसने रोका था आज अमर शहीदों के वंशजों की स्थिति कितनी दयनीय है यह उनके गांव में जाकर महसूस किया जा सकता है। 

गुजरात में आदिवासियों पर बढ़ गया है अत्याचार! 
भाजपा हमेशा गुजरात मॉडल की बात करती है उसी गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे वहां आज भी आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में मध्यप्रदेश आदिवासियों पर अत्याचार और जुल्म के मामले में पूरे देश में नंबर वन है यह किस मुंह से आदिवासियों के कल्याण की बात करते हैं यह समझ से परे है।

आदिवासी समाज भावुक होता है लेकिन मूर्ख नहीं वह सभी चीजों को अब भली-भांति समझने लगे हैं और भाजपा के किसी भी प्रलोभन में आने वाले नहीं हैं वह समझ चुके हैं कि उनको केवल भ्रमित करके उनका वोट लिया जाता है उनके नाम पर सत्ता सुख भोगा जाता है लेकिन उसके एवज में उनको कुछ भी प्राप्ति नहीं होती है। आदिवासियों का मूलाधार जल जंगल और जमीन है यह प्राकृतिक रूप से उनसे संबद्ध है। लेकिन भाजपा सरकार ने आदिवासियों से जल जंगल जमीन छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ रखा है।

सुप्रीम कोर्ट से आदेश पारित करवाकर उनको शहरों में बसाने की कवायद में भाजपा सरकार लगी हुई है ताकि वह जहां निवास करते हैं उसके नीचे पड़ी अकूत खनिज संपदा को मनमाने तरीके से अपने बिजनेसमैन साथियों को सौंप सकें। आदिवासियों की अगर इनको चिंता होती तो महागठबंधन सरकार द्वारा 11 नवम्बर 2020 को विधानसभा से पारित कराकर केन्द्र सरकार को भेजे गये सरना कोड, जो झारखण्ड में जनजातीय समुदाय की वर्षों से लम्बित मांग रही है, को केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार जल्द से जल्द लागू करती। 

बीजेपी केवल दिखावा की राजनीति करती है! 
मुंजनी ने कहा कि भाजपा केवल दिखावा की राजनीति करती है। यदि भाजपा को आदिवासियों की चिंता होती तो भूमि अधिग्रहण कानून, एट्रोसिटी एक्ट, आरक्षण, छात्रवृति एवं वन अधिकार पट्टा में अपने शासनकाल के दौरान छेड़छाड़ नहीं करती। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि देश में एसटी और एससी समुदायों के खिलाफ अत्याचार का साल 2015 की तुलना में 2022 में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो केन्द्र की मोदी सरकार की विफलता और आदिवासियों के प्रति हीन भावना को परिलक्षित करता है। 

बीजेपी राज में लाखों आदिवासी भूमिहीन हो गये हैं! 
प्रवक्ता मुंजनी ने कहा कि आदिवासी और दलितों पर भाजपा शासित राज्यों में अत्याचार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। लाखों आदिवासी भूमिहीन हुए है। कांग्रेस पार्टी द्वारा यूपीए के शासन में सन् 2006 में वन अधिकार पट्टा कानून लाया गया था ताकि भूमि पर पीढ़ियों से खेती और संरक्षण कर रहे आदिवासियों को उनका हक मिल सके और इनको स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो।

आज भाजपा की सरकार अतिक्रमण का आरोप लगाकर इनसे जमीन छीनकर परियोजनाओं, कृषि के निगमीकरण के समानांतर मोदी सरकार ने निजी निगमों के लिए खुले उत्खनन के लिए खोल दिया है, विशेष रूप से मध्य भारत के आदिवासी क्षेत्रों के जंगलों में और मोदी जी दावा कर रहे हैं कि यह भारत को और अधिक आत्मनिर्भर बना देगा। लेकिन देश में सबसे अधिक आत्मनिर्भर जनजातीय समुदायों के पास खोने के लिए सबसे अधिक है।

जंगलों की कटाई, भूमि के खनन और पानी को प्रदूषित किया जा रहा है और जो आदिवासी इसका विरोध करते हैं, उन्हें बार-बार झूठा माओवादी या नक्सली या देशद्रोही का आरोप झूठे केस में फंसाया जाता है।

कॉर्पोरेट जगत आदिवासियों की जमीन लूट रहा है! 
उन्होंने कहा कि आज कॉरपोरेट जगत केन्द्र सरकार के संरक्षण में लोगों की जमीनों में घुसपैठ कर रहा है। पहाड़ों, जंगलों और नदियों को लूट रहा है। आज पूरे देश में आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक के नेता एवं सामाजिक व्यक्तियों को ईडी एवं सीबीआई जैसी एजेन्सी के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, बंधु तिर्की शामिल हैं। 

बंधु तिर्की के आवास पर सीबीआई छापा साजिश का हिस्सा! 
उन्होंने कहा कि माण्डर उपचुनाव की घोषणा होते ही आदिवासी नेता बन्धु तिर्की के घर पर सीबीआई का छापा पड़ना यह दर्शाता है कि यह छापा राजनैतिक से प्रेरित है और भाजपा की मंशा जनजातीय समुदाय की चिंता करने की नहीं है, बल्कि इनको सिर्फ राजनीति रोटी सेंक कर इनका लाभ उठाना है। भाजपा केवल वोट की राजनीतिक के लिए आदिवासियों को जुटाना चाहती है।

चूंकि आदिवासियों ने भाजपा को सिरे से नकार दिया है। भाजपा फिर से आदिवासियों का वोट लेकर रघुवर दास जैसे चेहरे को गद्दी सौंप कर आदिवासियों को प्रताड़ित करना चाहती है।