द फॉलोअप डेस्कः
अडाणी-हिंडनबर्ग केस की जांच के लिए बने सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट सामने आ गई है। कमेटी ने कहा है कि पहली नजर में मौजूद नियम और कानूनों का हेरफेर नहीं लगता है। समिति ने यह भी कहा कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी। पैनल ने ये भी कहा कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को इस मामले में 6 सदस्यी टीम बनाई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 6 मई को सौंपा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था। बता दें कि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडाणी ग्रुप के शेयर ने उछाल मारी है।
नियमों का उल्लंघन नहीं
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा किया है। साथ ही ये भी कहा गया है कि सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया कि वे अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मौजूदा नियमों या कानूनों का प्रथम दृष्टया के स्तर पर किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं किया गया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप लगाए थे आरोप
बता दें कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट सार्वजनिक किया था जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप थे। इस रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट हुई थी। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए।
दायर की गई थी की याचिकाएं
इसके बाद एक वकील जिनका नाम मनोहर लाल शर्मा है उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी।
उनके साथ ही एक विशाल तिवारी नामक शख्स ने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। जया ठाकुर ने इस मामले में LIC और SBI की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
इसी तरह मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। इन याचिकाओं में ये भी दावा किया था कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे 'निवेशकों को भारी नुकसान' हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
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