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बेलगाम : रांची में कोयले के अवैध कारोबार से धधक रहे ईंट भट्‌ठे

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड में अवैध खनन इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। जिसके कारण ईडी की रडार पर कई नेता व अधिकारी हैं। मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल भी अधिकारियों से कह चुके हैं कि अवैध खनन किसी भी हाल में न हो। मगर कुछ दिनों से अवैध कारोबार पर लगा प्रशासन का ब्रेक अब फेल हो गया है। अवैध काला सोना से रांची के चान्हो, मांडर व बुढ़मू के ईंट भट्‌ठे एक बार फिर गुलजार हैं। दरअसल खलारी कोयलांचल सहित आसपास के प्रखंडों में दिसंबर माह से ही ईंट भट्‌टे का धुआ निकलता नजर आने लगा है। करीब 300 से अधिक ईंट भट्ठे यहां आसानी से नजर आ जाएंगे। इनमें कितने ईंट भट्ठे खनन, वन व पर्यावरण विभाग द्वारा एनओसी प्राप्त कर चलाये जा रहे हैं, यह तो जांच का विषय है। मगर फिलहाल बात हो रही है इन सैकड़ों ईंट भट्ठों तक पहुंचने वाला कोयला का। इन प्रखंडों के समीप खलारी, पिपरवार व बालूमाथ थाना क्षेत्र में सीसीएल के विभिन्न कोल परियोजनाएं संचालित हैं। जानकारी के अनुसार वर्तमान में बालूमाथ व पिपरवार थाना क्षेत्र के कोयला खदानों व रेलवे साइडिंग से मैक्लुस्कीगंज व बुढ़मू के रास्ते विभन्न ईंट भट्ठों तक अवैध तरीके से कोयला की आपूर्ति की जा रही है।

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रात के अंधेरे में ईंट भट्‌ठे तक पहुंच रहा कोयला
खेलारी व आसपास के कोयला क्षेत्रों से प्रति दिन लगभग 500 टन से भी अधिक कोयला अवैध तरीके से चान्हों, मांडर व बुढ़मू के ईंट भट्ठों तक पहुंचाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कोयला के इस काले खेल में खलारी व पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र के 50 से भी अधिक युवा लगे हैं। इतना ही नहीं खलारी थाना क्षेत्र के एक जनप्रतिनधि द्वारा ही कोयला के इस काले कारोबार को संचालित किया जा रहा है। विभिन्न थाना क्षेत्रों के ईंट भट्ठा संचालक इनसे संपर्क करने पर आर्डर के अनुसार कोयला को रात के अंधेरे में उनके ईंट भट्ठों तक भेजा जा रहा है।

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थानों की है मिलीभगत से जारी है खेल
लोगों की सुरक्षा और अवैध कार्यों की रोकथाम के लिए रात में गश्ती भी की जाती है। मगर रात में अवैध रूप से ईंट भट्‌ठा में जिस प्रकार कोयला पहुंच रहा उससे साफ है कि इस खेल में पुलिस की मिलीभगत शामिल है। बताते चलें कि खलारी व पिपरवार से निकाले जाने वाला अवैध कोयला बुढ़मू, चान्हो, मांडर, बालूमाथ व खलारी थाना क्षेत्र से होकर गुजरती है। इससे साफ है कि कोयला तस्कारों द्वारा संबंधित थाना व पेट्रोलिंग पार्टी को सेट कर लिया गया है। गाड़ी निकाले जाने के एवज में प्रति ट्रक के हिसाब से संबंधित थानों के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है।

सीआईएसएफ के जवान भी लेते हैं मोटी रकम
कोयला का यह काला खेल जिन कोलियरी क्षेत्र से प्रारंभ होती है वहां काले सोने की हिफाजत के लिए सीआईएसएफ की तैनाती की गई है। इसके बावजूद आखिर कोयले का अवैध कारोबार कैसे हो रहा? मतलब साफ है कि कोयला तस्करों के साथ सीआईएसएफ के कुछ जवानों की भी मिलीभगत है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीआईएसएफ और कोयला तस्करों की पहले से बात तय है। सीधे कोल परियोजनाओं के कोल स्टॉक से सीआईएसएफ की मदद से ही अवैध तरीके से कोयला लादकर क्षेत्र से बाहर निकाला जाता है। इसके लिए प्रति ट्रक सीआईएसएफ को 20 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। साथ ही जिस थाना क्षेत्र से कोयला की लोडिंग होती है वहां भी इंट्री के रुप में 20 हजार रुपये प्रति टक का भुगतान होता है। रास्ते में पड़ने वाले और जहां सप्लाई होना है सब थाना का प्रति ट्रक के हिसाब से राशि तय है।

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